मंगलवार को जब से कहा है कि 'प्राइम टाइम' में फीस वृद्धि को लेकर जनसुनवाई करेंगे तो कई माता-पिता ने ऐसे-ऐसे ई-मेल लिखे हैं, जिन्हें पढ़कर लगता है कि स्कूलों के ख़िलाफ़ बोलना कितना मुश्किल है. तो हमने एक तरीका निकाला. स्कूल का नाम मत लीजिए और जो समस्या है वो बोलिये. अभी हम अपनी जनसुनवाई में स्कूल को शामिल नहीं करेंगे. हालांकि उनकी भी बारी आएगी, मगर शुरुआती दौर की जनसुनवाई में माता-पिता आकर बोलें या अपने अनुभव भेजें कि उन्हें क्यों लगता है कि स्कूल ने उनसे ज़रूरत से ज़्यादा या ज़बरदस्ती फीस लिए.