दो और तीन दिसंबर की दरम्यानी रात. भोपाल के हज़ारों लोगों के लिए ये एक डरावनी तारीख़ है जो अब तक उनका पीछा कर रही है. 35 बरस पहले इसी रात- जब वो अपने घरों में सोए हुए थे- तब यूनियन कार्बाइड कारख़ाने से रिसी गैस ने उनकी दुनिया हमेशा-हमेशा के लिए उजाड़ दी. कहते हैं, बहुत सारे लोग अपनी नींद में ही मारे गए. जिनकी नींद टूट गई, वो बेचैनी में घरों से बाहर भागे. उनमें से कई लोग छटपटाते हुए सड़क पर मारे गए. ये अब तक की सबसे भयावह औद्योगिक त्रासदी थी जिसमें मौत वर्षों तक लोगों को तड़पा-तड़पा कर मारती रही. और कितने लोग मारे गए? इसको लेकर अलग-अलग अनुमान हैं.