रेसलर और एक्टर संग्राम सिंह ने अपने जीवन में नाउम्मीदी को उम्मीद में बदला और एक ऐसी मिसाल पेश की जिससे हर कोई सीख सकता है. जिंदगी के घोर अंधेरे से निकल कर उन्होंने अपने मजबूत इरादों और इच्छा शक्ति के बल पर सफलता हासिल की. आज संग्राम सिंह एक बड़ा नाम हैं लेकिन उनकी कहानी यहां से शुरू नहीं हुई, बेहद कठिन हालातों से जूझ कर संग्राम ने खुद को इस लायक बनाया है कि आज लोग उनसे प्रेरित हो रहे हैं और उनके जैसा बनना चाहते हैं.
व्हील चेयर पर चलते थे संग्राम सिंह
संग्राम सिंह का असली नाम संजीत कुमार है, हरियाणा राज्य के रोहतक जिले के मदीना गांव में एक साधारण परिवार में जन्में संग्राम बचपन से ही गठिया और लकवे से पीड़ित थे. डॉक्टरों का कहना था कि वे कभी ठीक नहीं हो सकते. वे व्हील चेयर का सहारा लेकर चला करते थे, लेकिन मां के प्यार, इलाज और अपने मजबूत इरादों के दम पर आज संग्राम सिंह ने अपना मुकाम हासिल किया है. हाल में इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए एक वीडियो में संग्राम यही बता रहे हैं कि जिंदगी गिरकर उठने और फिर चलने का नाम है.
जिंदगी का फलसफा बता रहे संग्राम
इस वीडियो में संग्राम सिंह कह रहे हैं कि, जिंदगी में जो भी रुकावट आए उसका डटकर सामना करो. जैसे वीडियो गेम में गाड़ी अगर सीधी लगती रहे और सामने कोई रुकावट न आए तो खेल का मजा नहीं आता. जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है इसमें कोई परेशानी न हो, आप फेल न हो तो मान लीजिए कि आपने कुछ किया ही नहीं. फेल होना ही सबसे बड़ी सीख है. आप चलते रहें, गिरते रहें, फेल हों लेकिन फिर उठें और आगे बढ़े तभी सफलता मिलती है. अपना टारगेट सेट करें और उसे पाने के लिए आगे बढ़ते रहे, हर परेशानी को झेल कर अपनी मंजिल पाएं.
संग्राम सिंह का ये वीडियो और उनकी जिंदगी बेहद इंस्पायरिंग है. सच है कि हम असफलता को सही नजरिए से देख पाएं तो फेलियर या असफलता जीवन की छोटी-बड़ी कमियों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित कर उनमें सुधार करने का मौका देती है ताकि हम अपने आप को संवार सकें.