एक्सपर्ट ने कहा अगर बच्चे की परवरिश अच्छी करनी है तो आज से अपनी ये आदतें सुधार लें, फिर बच्चा बनेगा काबिल

सुधा मूर्ति ने कहा कि बच्चों से बात ना करना पेरेंट्स को भारी पड़ सकता है क्योंकि ऐसे में बच्चा बाहर के व्यक्ति की बात पर भरोसा करने लगेगा.

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सुधा मूर्ति ने बातों बातों में पेरेंट्स को कुछ खास चेतावनी भरी सलाह दे डाली. चलिए इस बारे में जानते हैं.

Parenting tips : बिजनेस वुमेन और समाज सेविका सुधा मूर्ति (sudha murty) इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी होने के साथ साथ एक बेहतरीन मां (mother) भी हैं. कई मौके पर सुधा मूर्ति ने बच्चों की परवरिश और पेरेंटिंग (parenting) पर खुलकर बात की है. आए दिन पेरेंटिंग और सही परवरिश को लेकर उनके इंटरव्यू और शोज आते रहते हैं. ऐसे ही एक इवेंट के दौरान सुधा मूर्ति ने बातों बातों में पेरेंट्स को कुछ खास चेतावनी भरी सलाह दे डाली. चलिए इस बारे में जानते हैं.

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सुधा मूर्ति ने बताई पैरंटिंग से जुड़ी खास बात  | When Sudha murty  talk about parenting


इस इवेंट में जब सुधा मूर्ति से एक छात्रा ने पूछा कि बच्चे किस तरह अपने मां बाप से खुलकर बात कर सकते हैं. उसने पूछा कि बच्चे बात करने में हिचकते हैं, ऐसे में बच्चे किस तरह अपने मन की बात पेरेंट्स तक पहुंचा सकते हैं. इस पर सुधा मूर्ति ने कहा कि बच्चों को किसी भी तरह की बात को मां बाप से नहीं छुपाना चाहिए. ऐसा करना दोनों ही पक्षों के लिए गलत हो सकता है. उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने अपनी बेटी से कहा था कि तुम खुद मुझे आकर सारी बात बताओ क्योंकि मुझे तुम्हारे बारे में कुछ दूसरों से पता नहीं चलना चाहिए.

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मां बाप को चेताया  | Sudha murty warn parents
सुधा मूर्ति ने मां बाप को भी चेताया कि उन्हें समय समय पर अपने बच्चों से बात करनी चाहिए. उन्हें अपने बच्चों को बात करने के अवसर देने चाहिए. अगर बच्चा मां बाप से बात करने में डर महसूस कर रहा है तो ये सबसे गलत बात है. मां बाप को चाहिए कि वो बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार करें कि बच्चा खुद आकर उनसे सारी बात करें और अपने मन का हाल कहे. उन्होंने कहा कि एक मां बाप ही हैं, जो बच्चे को सबसे सही सलाह दे सकते हैं, अगर बच्चा मां बाप से बात नहीं कर पा रहा है तो वो किसी दूसरे के पास सलाह लेने जाएगा. हो सकता है कि दूसरा व्यक्ति उसे गलत सलाह दे या गलत डायरेक्शन में भेज दे. एक बच्चे के लिए उसकी मां ही सबसे अच्छी एडवाइजर होती है, उससे ज्यादा बच्चे का भला कोई नहीं सोच सकता है. हो सकता है कि बच्चे की बात मां बाप को सही ना लगे या बच्चे के साथ उनकी अहसमित हो लेकिन फिर भी उनको बच्चे से बात करनी चाहिए. 

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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