अगर आप नदी में नहीं नहा सकते हैं तो नहाने वाले पानी में गंगाजल मिला दीजिए.
Paush Amavasya : पौष अमावस्या के दिन पितरों का दान पुण्य किए जाने का विधान है. पौष माह में सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है. जिसके बाद से खरमास शुरू हो जाता है. इस महीने में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है. केवल दान पुण्य और पितरों को याद किया जाता है. इस बार पौष अमावस्या 23 दिसंबर यानी कल पड़ रहा है. ऐसे में चलिए जानते हैं पौष अमावस्या के महत्व और शुभ मुहूर्त (paush muhurt) के बारे में. ताकि आप उस हिसाब से पूजा पाठ कर सकें.
पौष अमावस्या के दिन क्या करें
- आपको बता दें कि पौष अमावस्या को छोटा श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं. इस दौरान सूर्य की पूजा किए जाने का विधान है. आपको बता दें कि पौष अमावस्या में पितरों का श्राद्ध करने से इस योनि से मुक्ति मिलती है. अमावस्या में पितरों के लिए व्रत आदि रखना मंगलकारी माना जाता है.
- पौष अमावस्या के दिन प्रात काल उठकर गंगा नदी में स्नान करना अच्छा होता है. अगर आप नदी में नहीं नहा सकते हैं तो नहाने वाले पानी में गंगाजल मिला दीजिए. फिर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें. इस दिन विशेष रूप से पितरों को तर्पण करें. इसके अलावा पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने का बहुत महत्व होता है. वहीं, इस दिन जिन लोगों की कुंडली में शनि या पितृदोष है, उन्हें पौष कंबल, तिल आदि का दान करना चाहिए.
- वृद्धि योग का निर्माण 23 दिसंबर 2022, दोपहर 01 बजकर 42 मिनट पर होगा, जिसका समापन 24 दिसंबर 2022, सुबह 09 बजकर 27 मिनट पर होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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