Co-sleeping age limit : काम और तनाव के बीच गुजरे दिन के बाद शाम को अपने नन्हे मुन्नों को गले लगाकर सोने से मानो पूरी थकावट दूर हो जाती है. लेकिन एक उम्र के बाद क्या बच्चों के पास सोना सही है. क्या आपने सोचा कि बढ़ते बच्चों के पास सोने से आप उनके नुकसान का कारण भी बन सकते हैं. जब बात पैरेंटिंग (Parenting Tips) की आती है तो यकीनन आप उन्हें बेस्ट देना चाहते हैं. लेकिन इसी पैरेंटिंग में बच्चों के साथ सोने के तरीके भी शामिल होते हैं. एक उम्र के बाद बच्चों के साथ सोना उनकी सेहत या मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर बुरा असर डाल सकता है.
किस उम्र के बाद बच्चों के साथ न सोएं | At What Age Parents Should Stop Sleeping With Kids
बच्चों में बदलाव
बढ़ते बच्चे जब भी किशोरावस्था की दहलीज पर नया नया कदम रखते हैं. तब उनमें कई किस्म के बदलाव आने लगते हैं. ये बदलाव कई बार शारीरिक भी हो सकते हैं और कई बार मानसिक भी. ऐसे में उनके साथ सोना, उन्हें उलझन में डाल सकता है.
शर्माते हैं बच्चे
शरीर में आ रहे बदलावों के बाद बच्चे अक्सर पेरेंट्स के साथ सोने कतराते हैं. हो सकता है कि बच्चे इस बारे में आपसे बात न कर सकें. पर उनकी उलझन उन्हें संकोची या शर्मीला बना सकती है.
स्पेस दें
अगर बच्चा किशोरावस्था यानी कि प्यूबर्टी की उम्र में पहुंच चुका है तो समझिए कि उसे कुछ स्पेस की भी जरूरत है. उसे कुछ प्राइवेसी की भी उम्मीद है. ऐसे में आप उसके अगल बगल में सोएंगे तो ये उसकी प्राइवेसी में भी खलल होगा.
जोर न डालें
हो सकता है कि बच्चों को आपके बगैर नींद न आती हो. ऐसी स्थिति में उनको सुलाकर आप अपनी जगह वापस आ सकते हैं. शुरूआत में दोनों सहज न हो तो एक ही कमरे में बच्चों का बेड अलग कर सकते हैं.