बार्बी डॉल भी टाइप 1 डायबिटीज की हुई शिकार, इंसुलिन पंप के साथ क्‍यों आएगी यह सुंदर गुड़िया?

New Barbie With Type-1 Diabetes: क्या किसी गुड़िया को भी डायबिटीज हो सकती है. आपका जवाब भले ही न हो लेकिन बच्चों की प्यारी बार्बी अब इसी बीमारी के साथ आएगी. इसके पीछे एक खास मकसद जुड़ा है, जान‍िए वजह.

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Mattel Barbie : बार्बी डॉल का यह नया लुक चौंकाने वाला है.

New Barbie With Type-1 Diabetes: बार्बी डॉल्स बच्चों की जिंदगी का हिस्सा दशकों से रही हैं. अब बार्बी बनाने वाली कंपनी मटेल (Barbie Doll Making Company Mattel) ने बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने एक ऐसी नई बार्बी डॉल लॉन्च की है, जो टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes Kya Hai) के साथ आती है. यह पहल खासतौर पर उन बच्चों के लिए है जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं. कंपनी का मकसद है कि हर बच्चा अपनी कहानी इन गुड़ियों में देख सके और खुद को अकेला न महसूस करे.

टाइप-1 डायबिटीज वाली नई बार्बी

मटेल कंपनी ने इस नई डॉल को बनाने के लिए 'ब्रेकथ्रू T1D' नाम के डायबिटीज रिसर्च संगठन के साथ साझेदारी की है. इस डॉल को खासतौर पर वॉशिंगटन में आयोजित 'ब्रेकथ्रू T1D चिल्ड्रन कांग्रेस' में लॉन्च किया गया. इसके साथ ही कंपनी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी इस खास डॉल की झलक शेयर की है.
कंपनी की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और ग्लोबल हेड ऑफ डॉल्स, क्रिस्टा बर्गर ने कहा,
"टाइप-1 डायबिटीज वाली बार्बी डॉल को पेश करना सोसायटी के प्रति हमारे कमिटमेंट की दिशा में अहम कदम है. बार्बी हमेशा से बच्चों की दुनिया की सोच को आकार देती है. हमारा मकसद है कि हर बच्चा अपनी कहानी और अपनी जिंदगी की झलक इन डॉल्स में देख सके."

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नई बार्बी की खासियत

यह डॉल '2025 बार्बी फैशनिस्टा' सीरीज का हिस्सा है. इसके लुक की बात करें तो यह नीले पोल्का डॉट्स वाले क्रॉप टॉप, फ्रिल वाली मिनी स्कर्ट और स्टाइलिश हील्स में नजर आती है. खास बात यह है कि इसके साथ कुछ जरूरी एक्सेसरीज भी दी गई हैं.
इस डॉल के साथ कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटर (CGM), इंसुलिन पंप और एक बैग भी है, जिसमें इमरजेंसी स्नैक्स रखे जा सकते हैं. डॉल की बाजू पर ग्लूकोज मॉनिटर और कमर पर इंसुलिन पंप भी लगाया गया है, ताकि यह असल जिंदगी में टाइप-1 डायबिटीज से जूझ रहे लोगों की दिनचर्या को सही ढंग से दिखा सके.
नीले पोल्का डॉट्स वाले कपड़े भी डायबिटीज अवेयरनेस का प्रतीक माने जाते हैं. इस डॉल के जरिए बच्चों को यह महसूस कराया जाएगा कि वो अकेले नहीं हैं जो इस तकलीफ से जूझते हैं.

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क्यों है यह कदम खास?

इस डॉल के लॉन्च के साथ ही बार्बी ने डायबिटीज एडवोकेट्स लिला मॉस और रोबिन अर्सन को भी इस अभियान से जोड़ा है. ये दोनों इस डॉल के एंबेसडर बनेंगे और इसके जरिए जागरूकता फैलाएंगे.
टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है. जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से पैंक्रियास में मौजूद इंसुलिन बनाने वाले सेल्स पर हमला कर देता है. इसकी वजह से शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है. इंसुलिन शरीर के लिए जरूरी हार्मोन है, जो खाने को एनर्जी में बदलने में मदद करता है.
जिन्हें टाइप-1 डायबिटीज होती है. उन्हें रोजाना इंसुलिन के इंजेक्शन या इंसुलिन पंप की जरूरत होती है. ताकि वो हेल्दी रह सकें. यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह बचपन या किशोरावस्था में ही पता चल जाती है.

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बच्चों को मिलेगा सहारा

इस नई डॉल का मकसद है कि टाइप-1 डायबिटीज से जूझ रहे बच्चों को भी समाज में प्रतिनिधित्व मिले. वो भी यह समझें कि वे बिल्कुल अलग नहीं हैं. इस पहल से न सिर्फ बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि उनके दोस्त, स्कूल और परिवार भी इस बीमारी को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे.

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