Mother's Day 2025: ये सच है कि एक मां की जिम्मेदारियों का कोई अंत नहीं होता है लेकिन उन जिम्मेदारियों को निभाते निभाते खुद को नजरअंदाज करना सही नहीं है. भारतीय समाज में लड़कियों की बचपन से कंडीशनिंग की जाती हैं. उन्हें बताया जाता है कि घर और परिवार की खुशियां ही सबसे जरूरी है. आजकल ज्यादा ज्यादा महिलाएं करियर वुमन होती है और वे मां बनने के बाद बच्चे को समय देने को लेकर गिल्ट में घिरने लगती है. उन्हें लगता है वे अपने बच्चे की वैसी देखभाल नहीं कर पा रही हैं जैसी की करनी चाहिए. एक रिसर्च के अनुसार अधिकतर मां अपने बच्चे की देखभाल को लेकर गिल्ट में रहती है और इसका असर उनके फिजिकल और मेंटल हेल्थ (Maa Banne Ka Health par Asar) पर पड़ता है. बेहतर होगा कि इस गिल्ट की भावना से बाहर निकल कर मदरहुड को सुखद अनुभव के रूप में जिया जाए. इस साल 11 मार्च को मनाए जा रहे मदर्स डे (Mother's Day-2025) के अवसर पर आइए जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स जिनकी मदद से हमें एक मां की जिम्मेदारियों के साथ साथ खुद पर भी समय देने का मिले मौका (Maa Banne Ke Bad Kaise Kare Apni Dekhbhal) और बच्चे की परवरिश बन जाए सुखद अनुभव.
मां बनने के बाद कैसे करें अपनी देखभाल (How to take care of yourself as a mother)
गिल्ट का भाव रखना ठीक नहीं
मां बनना बेहद खास अनुभव होता है. एक बेबी आपकी पूरी दुनिया बदल देता है और आप उसकी देखभाल के लिए सबकुछ करने के लिए तैयार रहती हैं. हालांकि आजकल अधिकतर औरतें घर के साथ साथ बाहर की जिम्मेदारियां भी निभा रही होती हैं. ऐसे में बच्चे की देखभाल में पहले की तरह समय देना मुश्किल होता है. इस बात को लेकर गिल्टी फील करना सही नहीं है. अगर आप गिल्ट से फ्री रहेंगी तभी बच्चे और अपने ऊपर ध्यान दें पाएंगी.
अपने लिए जरूर निकालें समय
मां बनने के बाद बच्चों की देखभाल में महिलाएं इतनी बिजी हो जाती हैं कि उन्हें अपने लिए समय ही मिलता है. इसका असर उनके फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर पड़ता है. थकान और टेंशन उन्हें चिड़चिड़ा बनाने लगता है. इस समय जरूरी है कि आप स्वयं के लिए भी कुछ न कुछ समय निकालें.
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हेल्प मांगना सीखें
हमारे समाज में अक्सर यह मान लिया जाता है कि घर और बच्चे की देखभाल औरतों की जिम्मेदारी है. जबकि बच्चे की अकेले देखभाल करना आसान नहीं है. ऐसे में आप पार्टनर और परिवार से हेल्प मांगने में संकोच न करें. इससे आपके ऊपर पड़ रहा दबाव कुछ कम हो सकता है और परिवार के दूसरे सदस्यों को भी अपनी जिम्मेदारी का अहसास होगा.
करियर से समझौता ठीक नहीं
बहुत सारी महिलाएं मां बनने के बाद करियर से समझौता कर लेती हैं. बाद में उन्हें इसे लेकर पछतावे का सामना करना पड़ता है. बेहतर होगा कि पेशेवर जिम्मेदारियों को निभाते समय परिवार की जरूरतों का ध्यान रखते हुए थोड़ा बैलेंस बनाने की कोशिश की जाए.
अपनी पहचान न गंवाएं
महिलाएं बच्चे के आने के बाद अपनी दुनिया उसी के चारों ओर बना लेती है. जबकि बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता है अपनी दुनिया बनाने लगता है और फिर मां की बच्चे के कारण व्यस्तता कम होने लगती है. इसलिए मां बनने के बाद अपनी पहचान कायम रखना जरूरी है.
सोशल प्रेशर में आने से बचें
परफेक्ट मां की कोई परिभाषा नहीं होती है. सोशल प्रेशर में आकर हर बात के स्वयं को दोषी मानना सही है. आप अपनी जिम्मेदारियां वैसे निभाएं जैसे आप निभाना चाहती हैं. रिश्तों से तालमेल बिठाने का पूरा जिम्मेदारी महिलाओं की नहीं होती है. दूसरे पक्षों को भी इसके लिए कोशिश करने दें.