Magh Gupt Navratri: गुप्त नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ करना माना जाता है बेहद शुभ, माता का मिलता है आशीर्वाद 

Gupt Navratri: नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इस दौरान दुर्गा आरती और दुर्गा चालीसा का पाठ बेहद शुभ कहा जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Durga Chalisa: दुर्गा चालीसा का पाठ माना जाता है बेहद शुभ.

Gupt Navratri 2024: सालभर में चार तरह की नवरात्रि मनाई जाती हैं जिनमें से 2 गुप्त नवरात्रि, एक चैत्र नवरात्रि और एक शारदीय नवरात्रि होती है. माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं. माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दिनों में मां जगदंबे की पूजा-आराधना करने पर घर-परिवार में सुख और खुशहाली का वास होता है और दुख-दर्द दूर होते हैं सो अलग. इस साल गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से शुरू हो गई है और यह 18 फरवरी तक रहने वाली है. नवरात्रि के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है और आप भी रोजाना दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) का पाठ कर सकते हैं. 

Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी के दिन कुछ काम करने माने जाते हैं बेहद शुभ, जानिए इसदिन क्या करें और क्या नहीं

दुर्गा चालीसा का पाठ | Durga Chalisa Path 

॥दुर्गा चालीसा॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

शंकर अचरज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥

करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

॥ इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Amit Shah On Northeast Development: 'Northeast का विकास PM Modi का टॉप एजेंडा...'
Topics mentioned in this article