आज कल कमर दर्द (Back Pain) की समस्या बेहद आम बात हो चुकी है. आज हर दूसरा व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है. वहीं इस समस्या से ग्रस्त लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. ये समस्या पहले बुढ़ापे के साथ बढ़ती थी, लेकिन अब ये महज 20 से 35 साल की उम्र वाले युवाओं में भी देखी जा रही है. कमर दर्द की समस्या कई कारणों के कारण बढ़ सकती है. अक्सर आपकी खराब जीवनशैली के अलावा समय पर आराम न करने और गलत ढंग से उठने-बैठने व झुकने के कारण कमरदर्द की समस्या बढ़ सकती है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इसका कोई समाधान नहीं है. सदियों से चले आ रहे योग और व्यायाम में कुछ ऐसे आसन मौजूद हैं, जिनका निरंतर अभ्यास करने से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं. इससे निजात पाने के लिए आप हमारे द्वारा बताये जा रहे योगासन को ट्राइ कर सकते हैं.
कमर से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं ये योगासन
चक्रासन
इस योगासन के लिए आप पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़े और एड़ियां छाती के समीप लगा लें. इसके बाद दोनों हाथों को उल्टा करके कन्धों के पीछे थोड़े अन्तर पर रखें, इससे सन्तुलन बना रहता है. श्वास अन्दर भरकर कटिप्रदेश और छाती को ऊपर उठायें. धीरे-धीरे हाथ व पैरों को समीप लाने का प्रयत्न करें, जिससे शरीर की चक्र जैसी आकृति बन जाये. अब आसन से वापस आते समय शरीर को ढीला करते हुए कमर भूमि पर टिका दें. इस प्रकार 3 से 4 आवृत्ति. इससे रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाकर वृद्धावस्था नहीं आने देता. साथ ही जठर और आंतों को सक्रिय करता है.
भुजंगासन
यह एक ऐसा आसन है, जिसमें आप कमर के खिंचाव को महसूस कर सकते हैं. इस आसन को आप बहुत ही आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले किसी समतल जगह पर उल्टे होकर लेट जाएं, अपने दोनों पैरों को मिला लें. अपनी नाभि से उपर के हिस्से को उपर की ओर उठाएं. इस दौरान आपको सांस भरते हुए अपनी ध्वजा को उपर ले जाना है, लेकिन उतना ही जितने में आपको दर्द महसूस न करें. इस दौरान आपको अपने हाथों को छाती की सीध में ही रखना है. यदि आप अपनी शरीर को उपर की ओर ले जाने में असमर्थ हैं या आपको ज्यादा दर्द हो रहा है तो इस आसन को जबरदस्ती बिलकुल न करें. ऐसा करने से आपको नुकसान भी हो सकता है.
बच्चे की तरह मुद्रा बनाना
बच्चे की तरह की मुद्रा बनाने वाला यह आसन आपके रीढ़ की हड्डी को ताकतवर बनता है. इससे आपके शरीर के निचले हिस्से का दबाव कम होता है. इस आसन से कई बार आपको दर्द की स्थिति में तुरंत राहत मिलती है.
उल्टा लेट कर चेस्ट को ऊपर उठाना
आपके शरीर के पिछले हिस्से का सही पोश्चर बनाने के लिहाज से यह आसन बहुत महत्वपूर्ण है. इससे ना सिर्फ आपको बैक पैन से छुटकारा मिलता है, बल्कि एब और पेट के नीचे के हिस्से की मांसपेशियों को दुरुस्त करने में भी मदद मिलती है.
मर्कटासन-1
सीधे लेटकर दोनों हाथों को कन्धों के समानान्तर फैलायें, फिर हथेलियां आसमान की ओर खुली रहें, फिर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर छाती के पास लायें. अब घुटनों को दायीं ओर झुकाते हुए दोनों घुटनों और एड़ियों को परस्पर मिलाकर भूमि पर टिकायें, गर्दन को बायीं ओर मोड़कर रखें. इस तरह से बायीं ओर मोड़कर रखें. इसी तरह से बायीं ओर से भी इस आसन को करें, यह 'मर्कटासन-1' कहलाता है.
मर्कटासन-2
पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर छाती के पास रखें, पैरों में लगभग डेढ़ फुट का अंतर रखें (दोनों हाथ कन्धों की सीध में फैले हुए हथेलियां ऊपर की ओर हों). अब दायें घुटने को दायीं ओर झुकाकर भूमि पर टिका दें, बायें घुटने को इतना झुकायें कि वह दायें पैर के पंजे से स्पर्श करे, गर्दन को बायीं ओर यानि विपरीत दिशा में मोड़कर रखें. इसी प्रकार से दूसरे पैर से भी करें. इसे 'मर्कटासन-2' कहते हैं.
मर्कटासन-3
सीधे लेटकर दोनों हाथों को कन्धों के समानान्तर फैलायें, हथेलियां आकाश की ओर खुली हों. दायें पैर को 90 डिग्री (900) उठाकर धीरे-धीरे बायें हाथ के पास ले जायें, गर्दन को दायीं ओर मोड़कर रखें, कुछ समय इसी स्थिति में रहने के बाद पैर को 90 डिग्री (900) पर सीधे उठाकर धीरे-धीरे भूमि पर टिका दें. इसी तरह बायें पैर से इस क्रिया को करें. आखिर में दोनों पैरों को एक साथ 90 डिग्री (900) पर उठाकर बायें ओर हाथ के पास रखें, गर्दन को विपरीत दिशा में मोड़ते हुए दायीं ओर देखें, थोड़े समय के बाद पैरों को यथापूर्व सीधा करें. इसी तरह दोनों पैरों को उठाकर दायीं ओर हाथ के पास रखें. गर्दन को बायीं ओर मोड़ते हुए बायीं ओर देखें, यह एक आवृत्ति हुई. यह सम्पूर्ण क्रिया 'मर्कटासन-3' कहलाती है. इस प्रकार 3 से 4 आवृत्ति करें.