राजस्थान में कजली तीज का पर्व, इस वजह से जयपुर की तीज लूट ले आये थे बूंदी के राजा

Jaipur teej festival :रानी रोहिणी ने बताया की जयपुर की तीज को बूंदी लूटकर राजा बलवंत सिंह लाये थे तब से ही तीज का विशेष महत्व है और इस संस्कृति को राजपरिवार आज दिन तक भी जिन्दा रखे हुए है.

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Kajli teej 2024 :  कजली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. जयपुर और बूंदी दोनों जगहों पर तीज माता की झांकी निकाली जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि जयपुर की तीज को बूंदी के राजा लूटकर लेकर आये थे. जी हां बूंदी में तीज माता के पीछे एक रोचक घटना है. रियासत में बूंदी का गोठड़ा के दरबार बलवंत सिंह कजली तीज को लूट कर लाये थे. तब से बूंदी में तीज की झांकी निकलती है और 15 दिवसीय मेला लगता है. जिसमें देश-प्रदेश से दुकानदार दुकानें लगाने के लिए बूंदी आते हैं. लोगो का मानना है की यह चिलचिलाती गर्मी के बाद मानसून के स्वागत का उत्सव भी है. कजली तीज पूरे साल मनाए जाने वाले तीन तीज त्योहारों में से एक है. अखा तीज और हरियाली तीज की तरह ही कजली तीज के लिए विशेष तैयारी की जाती है. इस दिन देवी पार्वती की पूजा शुभ मानी जाती है. 

बूंदी की कहानी

राजपरिवार से जुड़े बलभद्र सिंह ने बताया की एक बार राजा के मित्र के कहने पर जयपुर में तीज की भव्य सवारी निकलने की बात कही और कहा की क्यों न बूंदी में भी ऐसा कुछ आयोजन हो. यह बात बूंदी के राजा बलवंत सिंह को रास आ गयी और जयपुर की उसी तीज को लाने का मन बना लिया. जब जयपुर से तीज की सवारी निकल रही थी तब बलवंत सिंह ने आक्रमण कर तीज को लूट लिया और बूंदी लेकर आ गए.

15 दिन बाद बूंदी में तीज को राजशाही ठाठ से निकाले जाने लगा तब से बूंदी में कई सालो से कजली तीज का त्यौहार मनाया जा रहा है और आज दिन तक वही शानो शौकत कायम है. बताया जाता है कि उस समय जयपुर के आमेर के किले में जो तीज की सवारी निकाली जाती थी वह प्रतिमा सोने की थी. उसे ही लूट कर राजा बूंदी लाए थे. उसके बाद जयपुर में तीज माता की बहरूपी सवारी निकाली जाने लगी. लोग कहने लगे कि बूंदी में असली और जयपुर में नकली की सवारी निकलती है. पहले राज दरबार बूंदी तीज की सवारी से निकलते थे बाद में लोकतंत्र स्थापित होने पर स्थानीय नगर निकाय इस आयोजन को करने लगा.

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पति की लंबी आयु के लिए व्रत

राजस्थान में हरियाली तीज मनाई जा रही है. महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए तीज माता की पूजा करती हैं. इस त्योहार पर देर रात्रि से ही महिलाएं मंगल गीत गाते हुए मेहंदी अपने हाथो में रचाती हैं और हरियाली तीज का व्रत रख और घरों में पकवान बनाए जाते हैं. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कजली तीज के रूप में की जाती है. बूंदी में तीज पर विशेष तोर पर घेवर बनाया जाता है.

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रानी रोहिणी ने बताया की जयपुर की तीज को बूंदी लूटकर राजा बलवंत सिंह लाये थे तब से ही तीज का विशेष महत्व है और इस संस्कृति को राजपरिवार आज दिन तक भी जिन्दा रखे हुए है. इस संस्कृति से रूबरु करवाने के लिए शाही ठाट से सवारी को राज परिवार निकालता है. ठीक इसके 15 दिन बाद नगर परिषद निकालती है. वही रानी रोहणी ने बताया की इस दिन महिला सज-धजकर विशेष शृंगार करती है और व्रत रखकर माता पार्वती के रूप में तीज माता की पूजा करती है.

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