Intetmittent Fasting : आजकल की इस भागदौड़ भरी लाइफ में लोगों का लाइफस्टाइल इतना खराब हो चुका है कि उन्हें कोई न कोई बीमारी जरूर घेर लेती है. गलत खानपान की वजह से आजकल सबसे ज्यादा लोग फैटी लीवर का शिकार हो रहे हैं, हर दूसरे शख्स को फैटी लीवर की समस्या हो रही है. ऐसे में इसे लेकर एक रिसर्च में बड़ा खुलासा हुआ है. रिसर्च में बताया गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग फैटी लीवर और लीवर कैंसर में काफी मददगार साबित हो सकता है.
रिसर्च में हुआ खुलासा
जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर (डीकेएफजेड) और ट्यूबिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने चूहों में ये टेस्ट किया है. जिसमें बताया गया है कि 5:2 शेड्यूल पर रुक-रुक कर उपवास करने से फैटी लीवर की स्पीड कम हो सकती है, ये वही समस्या है जो अक्सर क्रोनिक लीवर सूजन और संभावित लीवर कैंसर का कारण बनता है. स्टडी में देखा गया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से चूहों के लीवर में कैंसर बनना कम हुआ.
घातक बीमारी का बड़ा कारण
पहले आमतौर पर फैटी लीवर का शिकार वो लोग होते थे, जिन्हें शराब पीने की लत होती थी. यानी वो लोग इस बीमारी को झेलते थे, जिन्हें ड्रिंक करने की हैबिट होती थी. हालांकि पिछले कुछ सालों में
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर के मामले तेजी से बढ़े हैं. ये सबसे आम क्रोनिक लिवर बीमारी है, जो अक्सर लिवर में सूजन (मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-संबंधित स्टीटोहेपेटाइटिस, एमएएसएच), सिरोसिस और घातक बीमारी का कारण बनता है.
फैटी लीवर का सबसे बड़ा कारण तेजी से बढ़ता मोटापा है. भारत, चीन, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में फैटी लीवर की समस्या तेजी से बढ़ रही है. जिससे लीवर के फेल होने और कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.
ऐसे की गई रिसर्च
अब रिसर्च की बात करें तो इसमें दो ग्रुप में चूहों को बांटा गया था, एक ग्रुप के चूहों को खूब चीनी और हाई फैट वाला खाना दिया गया. लगातार चूहों को खाना दिया जा रहा था, जिसकी वजह से उनका वजन तेजी से बढ़ा और शरीर में फैट जमा हो गया. साथ ही लीवर में भी फैट जम गया. वहीं दूसरे ग्रुप के चूहों को हफ्ते में दो दिन खाने के लिए कुछ नहीं दिया गया. इन्हें 5:2 की इंटरमिटेंट फास्टिंग पर रखा गया. हफ्ते के बाकी दिनों में इन्हें वो सब दिया गया जो वो खाना पसंद करते थे. जिसमें हाई कैलोरी डाइट भी शामिल थी. हालांकि इसके बावजूद उनका वजन नहीं बढ़ा और फैटी लीवर जैसी समस्या भी नहीं दिखी.