Independence day: पूरा देश फिलहाल 78वें स्वतंत्रता दिवस को धूमधाम से मनाने की तैयारियों में जुटा हुआ है. हर जगह तिरंगा लहरा रहा है और सबके मन पर देशभक्ति का जुनून छाया है. इस मौके पर स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में कई तरह के आयोजन होते हैं और कविताएं (independence day poem) और स्पीच सुनाई (independence day speech) जाती हैं. ऐसे में लोग देशभक्ति की कविताएं, शायरी, निबंध (independence day essay), दोहे और भाषण तैयार करते हैं. अगर आप भी कुछ ऐसा ही खोज रहे हैं तो यहां आपके लिए कुछ देशभक्ति की कविताएं और टॉपिक दिए गए हैं जिनकी मदद से आप सबको इंप्रेस कर सकते हैं.
स्वतंत्रता दिवस भाषण, स्पीच और निबंध
महात्मा गांधी पर स्पीच
मेरे प्यारे साथियों, आपको स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई.
वो कद में जरा छोटे थे लेकिन उनके काम ने उनका ही नहीं देश का कद भी पूरी दुनिया में बढ़ा दिया. वो लाठी लेकर चलते थे लेकिन उनकी ही बदौलत भारत देश अपने दम पर चलना सीखा. हम बात कर रहे हैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की. बापू के नाम से पहचाने जाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी ने देश को आजाद करवाकर उसे सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी. गांधी जी ने सत्य और निष्ठा की राह पर चलते हुए अंग्रेजों को इतना मजबूर कर डाला कि उन्हें देश छोड़ना पड़ा. महात्मा गांधी ने हर वर्ग को साथ लेकर आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया और उसी का परिणाम है कि आज हम इतनी खुशी से अपनी आजादी का समारोह मना रहे हैं. गांधी के सादा जीवन उच्च विचारों ने हम सबको जीने की राह दिखाई है. हम सबके लिए जरूरी है कि हम गांधी जी के बताए मार्ग पर चलें और देश की सेवा करें.
भगत सिंह पर स्पीच
मेरे प्यारे दोस्तों,आपको स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई.
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु ए कातिल में है. जिस देश में मिट्टी के लिए जान देने वाले भगत सिंह जैसा नौजवान हो, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. सालों से गुलाम देश के इस रणबांकुरे ने इसे आजाद करवाने के लिए अपनी जवानी कुर्बान कर दी. ये घर से अपनी जान हथेली पर लेकर निकला और इसने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में जरा भी संकोच नहीं किया. इस दौर में जी रहे लोग भगतसिंह के बारे में जितना जानते हैं, उतना ही गर्व करते हैं. भगत सिंह एक जोशीले क्रांतिकारी थे जिन्होंने अंग्रेजों को उनके ही अंदाज में जवाब देने की हिम्मत की. आजादी की लड़ाई के दौरान पकड़े जाने पर बहुत ही कम उम्र में फांसी पर चढ़ा दिया गया था लेकिन उन्होंने उफ तक ना की. उनकी शहादत इस देश के काम आई और आखिरकार देश आजाद हुआ. भगतसिंह हम सभी लोगों के लिए प्रेरणा है कि देश के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए.
देशभक्ति की कविता
माखनलाल चतुर्वेदी की कविता -चाह नहीं मैं सुरबाला के..
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं.
चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊं
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि, डाला जाऊं.
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूं, भाग्य पर इठलाऊं.
मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ में देना तुम फेंक.
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक.
दूसरी कविता
गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' की कविता - वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं.
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं.
जो जीवित जोश जगा न सका,
उस जीवन में कुछ सार नहीं.
जो चल न सका संसार-संग,
उसका होता संसार नहीं.
जिसने साहस को छोड़ दिया,
वह पहुंच सकेगा पार नहीं.
जिससे न जाति-उद्धार हुआ,
होगा उसका उद्धार नहीं.
जो भरा नहीं है भावों से,
बहती जिसमें रसधार नहीं.
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं.
जिसकी मिट्टी में उगे बढ़े,
पाया जिसमें दाना-पानी.
है माता-पिता बंधु जिसमें,
हम हैं जिसके राजा-रानी.
जिसने कि खजाने खोले हैं,
नवरत्न दिये हैं लासानी.
जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं,
जिस पर है दुनिया दीवानी.
उस पर है नहीं पसीजा जो,
क्या है वह भू का भार नहीं.
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं.
निश्चित है निस्संशय निश्चित,
है जान एक दिन जाने को.
है काल-दीप जलता हरदम,
जल जाना है परवानों को.
है लज्जा की यह बात शत्रु,
आये आंखे दिखलाने को.
धिक्कार मर्दुमी को ऐसी,
लानत मर्दाने बाने को.
सब कुछ है अपने हाथों में,
क्या तोप नहीं तलवार नहीं.
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं.