एक्‍सपर्ट से जानें बच्‍चों को डिसिप्लिन सिखाने के कारगर तरीके, कभी नहीं होंगे फेल

Smart Parenting : बच्चों की शेतानी की कोई सीमा नहीं होती इसलिए बचपन से ही पेरेंट्स को डिसिप्लेन सिखाना चाहिए, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.

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Parenting : आपकी एक गलती बना सकती है बच्चे को जिद्दी.

Parent's Tips : दुनिया तेजी से बदल रही है. इसी के साथ ही हमारे पेरेंट्स के सामने कई चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं. वहीं सबसे बड़ी चुनौती बच्चों को डिसिप्लेन सिखाने की. हर पेरैंट्स के मन में यह सवाल  बना रहता है कि अपने बच्चे को डिसिप्लेन कैसे सिखाया जाए? हाल के दिनों में ही बच्चों में इनडिसिप्लेन की घटनाएं बढ़ी हैं, उसे देखते हुए यह चिंता जायज भी लगती है.  बच्चों को डिसीप्लेंड बनाने कि कोशिश जितनी जल्दी की जाए उतना सही परिणाम मिल सकता है. 

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बच्चे को बनाएं अनुशासित | Make the child disciplined

बच्चे हमारे शब्दों से ज्यादा हरकत पर ध्यान देते हैं. इसलिए उन्हें अनुशासित बनाने की पहली शर्त है- आपका खुदका डिसीप्लेंड होना. अगर आप बातचीत में अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं, तो बच्चे को यह सिखाना बेकार है कि उसे अच्छा बोलना चाहिए. बच्चे को यह बताने की कोशिश मत कीजिए कि उसे क्या नहीं करना है. बल्कि, उसके सामने इस बात का उदाहरण दीजीए कि उसे क्या करना है. आपका संतुलित व्यवहार ही उसे स्वयं ही आपके जैसा बनने के लिए प्रेरित करेगा. बच्चे को चिल्लाकर चुप रहने की सीख नहीं दी जा सकती है. 

बच्चों को व्यवहार से जुड़ी कोई सीख देते समय उनके मन में उठने वाले सवालों पर ध्यान दें. अगर वह पलटकर कोई सवाल पूछें तो उसका कोई समाधान देना चाहिए. इससे बच्चा आपकी कही हर एक बात को आत्मसात कर पाता है. जैसे ही आप उसके सवालों पर उसे डांटकर चुप कराने और बस आपका निर्देश पालन करने के लिए कहते हैं, वह उन बातों को न अपनाने के लिए प्रेरित होता है.

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बच्चों के व्यवहार में सबसे बड़ी भूमिका पेरेंट्स की होती है. कई बार छोटे बच्चे की किसी गलती को पेरेंट्स और परिवार के लोग  ही हंसकर टाल देते हैं. कई बार बच्चे की तोतली से अपशब्द सुनकर सभी को हंसी आ जाती है. तो कई बार जिद में बच्चा किसी बड़े पर हाथ उठाता है, तब भी यह कहकर टाल दिया जाता है कि बच्चा है, सीख जाएगा. यह गलत है. बच्चे की किसी भी ऐसी बात का समर्थन मत कीजिए, जो आप चाहते हैं कि उसकी आदत का हिस्सा न बने. पहली ही गलती पर उसे रोकें. इसके लिए गुस्सा करने या डांटने की जरूरत नहीं है, लेकिन धीमी आवाज में उसे यह जरूर  बताएं कि यह काम सही नहीं है. इससे बच्चा उस गलती को दोहराने से बचता है.  

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कई बार पेरेंट्स अपने बच्चे की हर इच्छा पूरी करने में उसे जिद्दी बना देते हैं. आप ऐसा बिल्कुल भी न करें. आपको इच्छा और जिद के बीच के अंतर को समझना होगा. बच्चे को यह समझ में आना चाहिए कि उसकी कही हर बात या उसकी हर मांग पूरी नहीं की जा सकती है. उसकी इच्छाएं जिद में न बदले, इसकी कोशिश  करना जरूरी है.

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बच्चे को सिखाएं अच्छी आदतें | Teach Good Habits to your child  

बच्चों को गलती करने पर टोकना जितना जरूरी है, अच्छा करने पर प्रशंसा करना भी जरूरी है. बच्चे को अच्छी आदतों के लिए एनकरेज करें और जब वह कुछ अच्छा करे, तो उसकी तारिफ करके उनका मनोबल भी बढ़ाएं. इससे उसे सही और गलत में बीच अंतर समझने में आसानी होती है. वह अपने कार्यों में इस अंतर को समझ पाता है कि क्या करने पर उसे टोका जा रहा है और करने पर खुशी मिल रही है. 

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