10-3-2-1-0 rule for sleep : रोज रात में बिस्तर पर पहुंचते ही अगर आप अच्छी नींद के लिए संघर्ष करते हैं. तो, अब उस स्ट्रगल को खत्म करने का तरीका मिल चुका है समझिए. बच्चों जैसी अच्छी और बेफिक्र नींद के लिए आपको बहुत ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं है. आपको सिर्फ एक नियम फॉलो करना है. ये नियम है ‘10-3-2-1-0′ का नियम. इस नियम से बेहतर नींद आने का दावा किया है डॉ. जेस अंद्रादे ने. इस संबंध में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. जेस अंद्रादे ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि साउंड स्लीप आखिर होती है क्या है और ऐसी नींद हासिल करने के लिए क्या किया जाना चाहिए.
क्या होती है साउंड स्लीप?
दीवार पर टंगी घड़ी की तरह हमारे शरीर में भी एक बायोलॉजिकल क्लॉक सेट है. जो लोग नियम से उठते, सोते और खाते हैं उनके शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक ठीक काम करती है. लेकिन जो लोग लाइफस्टाइल से समझौता कर नींद से कंप्रोमाइज करते हैं उनकी क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है, जिसका असर उनकी नींद पर पड़ता है. नींद में ही शरीर के हर तरह के फंक्शन खुद को रिस्टोर करते हैं. ऐसे वक्त को साउंड स्लीप कहा जाता है.
क्या है ‘10-3-2-1-0′?
इस फॉर्मूले के तहत डॉ. जेस अंद्रादे ने कुछ नियम फॉलो करने की सीख दी है, जिसके तहत आपको कुछ चीजों का सख्ती से पालन करना है. इसे आसानी कुछ यूं समझिए.
10- आपको सोने जाने से कम से कम दस घंटे पहले कैफीन कंज्मशन कम या बंद कर देना चाहिए.
3- सोने से तीन घंटे पहले ऐसे फूड को खाना बंद कर दें जो पेट खराब कर सकते हैं.
2- दो घंटे पहले होमवर्क का प्रेशर लेना बंद कर दें.
1- एक घंटा पहले टीवी या स्क्रीन बंद कर दें
0- ये जीरो आवर है जिसमें आप नींद में डूबने लगेंगे.
क्यों जरूरी है ये नियम?
इस नियम को फॉलो करना इसलिए जरूरी है क्योंकि इसके बिना अगर आप सो भी गए तो चैन की नींद नहीं सो सकेंगे.
कैफीन शरीर में दस घंटे के लिए रहता है जो नींद पर असर डालता है.
कैफीन की तरह नींद से पहले खाया गया भारी खाना आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को आराम नहीं करने देता.
सोने से चंद मिनट पहले तक राइटिंग में उलझे रहना आपके दिमाग के आराम को खत्म करता है.
टीवी या स्क्रीन से दूरी भी आपके दिमाग के सुकून को बढ़ाती है. मेंटल स्ट्रेस कम होता है तो एंजाइटी जैसी परेशानियां कम होती हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.