AI Saree Trend: इन दिनों इंटरनेट पर एक नया ट्रेंड छाया हुआ है, जिसमें लोग अपनी तस्वीरें AI मॉडल को अपलोड करके खुद को साड़ी में देख रहे हैं. ये ट्रेंड Google Gemini Nano के AI से जुड़ा हुआ है, जो आपके चेहरे को देखकर आपको साड़ी (Saree Trend On Social Media) में बदल देता है. ये ट्रेंड बेहद मजेदार और दिलचस्प लगता है, लेकिन इसके पीछे कुछ गंभीर खतरे छुपे हो सकते हैं. IPS अफसर और साइबर सुरक्षा (Risk Of AI Saree Trend) एक्सपर्ट्स का कहना है कि अपनी तस्वीरें AI मॉडल्स पर अपलोड करना एक बड़ा रिस्क हो सकता है. ये आपके व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग की वजह बन सकता है. तो, क्या ये मजेदार ट्रेंड सच में एक जाल है? आइए जानते हैं.
तस्वीरें अपलोड करना हो सकता है बड़ा खतरा
अपनी व्यक्तिगत तस्वीरें AI मॉडल्स पर अपलोड करने से बचें
इंफ्लूएंसर भानु पाठक ने इस बारे में अपने अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर कर लोगों को सजग करने की कोशिश की है. जब आप अपनी तस्वीरें AI मॉडल्स को भेजते हैं, तो आप उस पर अपना कंट्रोल खो देते हैं. आपको नहीं पता कि आपकी तस्वीरें कहां और कैसे स्टोर हो रही हैं. भले ही प्लेटफॉर्म सुरक्षा का वादा करें, लेकिन डेटा लीक और हैकिंग जैसी घटनाएं हमेशा हो सकती हैं. आपकी निजी तस्वीरें पहचान चोरी, धोखाधड़ी या उससे भी बुरे इस्तेमाल के लिए उपयोग की जा सकती हैं.
चोरी हुआ डेटा कितनी बड़ी समस्या बन सकता है
AI मॉडल्स कैसे हमारे "फ्री" बायोमेट्रिक फोटोज से ट्रेन होते हैं
जब भी आप अपनी फोटो अपलोड करते हैं, तो वो एक ट्रेनिंग डेटा बन जाती है. AI मॉडल्स आपके चेहरे के नैन-नक्श, हाव-भाव, और छोटे-छोटे डिटेल्स को सीखते हैं. इसका मतलब है कि आप बिना अपनी सहमति दिए अपनी बायोमेट्रिक जानकारी AI सिस्टम्स को दे रहे हैं. एक तस्वीर का अपलोड, आपकी पहचान को सिस्टम्स में बदल सकता है, और इसके लिए आपको कोई पेमेंट भी नहीं मिलता.
ये कितना असुरक्षित हो सकता है
बायोमेट्रिक डेटा स्थायी होता है, यानी एक बार अगर आपकी तस्वीर या डेटा चोरी हो गया, तो उसे बदलना मुमकिन नहीं है. इसका दुरुपयोग निगरानी, डीपफेक वीडियो और प्रोफाइलिंग के लिए हो सकता है. एक साधारण सी फोटो अपलोड करना आपके लिए कई सिस्टम्स का हिस्सा बन सकता है. जिसका आपने कभी कंसेंट भी नहीं दिया. जैसा कि इन्फ्लुएंसर भानु पाठक कहते हैं, “लोगों को अपनी तस्वीरें AI प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड करते वक्त बहुत सतर्क रहना चाहिए. जो आज मजेदार लगता है, वो कल एक बुरे सपने जैसा बन सकता है.”
एआई के जमाने में डीप फेक से कुछ भी हो सकता है
AI के जमाने में, जहां फैशन ट्रेंड्स तो बदलते हैं, वहीं असली और नकली के बीच का फर्क करना भी मुश्किल हो गया है. जैसा कि दृष्टि आईएएएस के विकास दिव्यकीर्ति कहते हैं, "एआई के जमाने में डीप फेक से कुछ भी हो सकता है. एआई को सिर्फ पासपोर्ट साइज फोटो देकर कहना है कि ऐसा करना है. और वो हो जाएगा. कभी बच्चे कहें कि ये फोटो मेरे जैसे ही है पर मेरी है नहीं, तो उस पर भरोसा करना. क्योंकि अब सब आसान है. एक फोटो लेनी है और प्रॉम्ट देना है वीडियो बनाओ. जैसा चाहें वीडियो बन जाएगा. कोई एक्सपर्ट भी प्रूव नहीं कर पाएगा कि वीडियो नकली है." अब आपको ये समझना होगा कि जब तक हम अपनी तस्वीरें और वीडियो का ध्यान नहीं रखेंगे, कोई भी उसे किसी और तरीके से इस्तेमाल कर सकता है. उनकी सलाह है कि एआई के इस दौर में अपने बच्चों और परिजनों पर ज्यादा भरोसा करें. जो भी फोटो आप अपनी बना रहे हैं उस प्रॉम्ट में वॉटर मार्क और कॉपीराइट का भी डालें ताकि आपकी फोटो एआई के जरिए कहीं इस्तेमाल ना की जा सके.