किस विटामिन की कमी से एड़ी में दरार पड़ जाती है? बिवाई फटने का क्या कारण है, जान गए तो खुद कर लेंगे इलाज

फटी एड़ियों को हमेशा के लिए कैसे ठीक करें? अगर आप इसका इलाज सर्च कर रहे हैं तो सबसे पहले ये जानना चाह‍िए पैरों में ब‍िवाई क्‍यों होती है, ताक‍ि आप उसका कारण जानकर सही इलाज कर सके.

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एड़ी फटने का मुख्य कारण क्या है?

Biwai phatne ka ilaj : एड़ियों में बिवाई पड़ने यानी एड़िया फटने की समस्या काफी आम होती है. ठंड का मौसम हो या गर्मी बहुत से लोग इस परेशानी से गुजरते हैं. पहले हल्की-सी लाइन दिखती है, फिर वह गहरी दरार में बदल जाती है. जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते है, जिससे आगे चलकर चलना भी मुश्किल हो जाता है. कई बार एड़ी से खून निकलने लगता है और दर्द इतना बढ़ जाता है कि चप्पल पहनकर चलना भी मुश्किल हो जाता है. इस आर्टिकल में जानिए पैर में बिवाई क्यों और किसकी कमी से होती है, इससे बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए.

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पैर में बिवाई क्यों होती है? (Cracked Heels Causes)

हमारे पैरों की त्वचा शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में थोड़ी मोटी होती है, लेकिन एड़ी के नीचे का हिस्सा (हील एरिया) चलते समय, खड़े रहने या वजन बढ़ने पर लगातार दबाव में रहता है. अगर इस एरिया की स्किन ड्राई है, पानी की कमी है या नमी बनाए रखने वाले नेचुरल ऑयल कम बन रहे हैं, तो त्वचा कठोर होकर फटने लगती है. इसके कारण पैरों की स्किन का बहुत ज्यादा ड्राई होना, ज्यादा देर तक खड़े रहने की आदत, झागदार केमिकल साबुन से पैर धोना, मौसम में नमी की कमी (खासकर सर्दियो में), हार्मोनल बदलाव, रिपोर्टेड मेडिकल कंडीशन्स जैसे थायरॉइड, सोरायसिस, डायबिटीज हो सकते हैं. यानी एड़ी फटना सिर्फ ड्राई स्किन की समस्या नहीं, बल्कि स्किन और सेहत का संकेत है.

किस विटामिन की कमी से एड़ी में दरार पड़ जाती है? (Which Vitamin Causes Cracked Heels)

एड़ियों का फटना सिर्फ सर्दियों या सूखे मौसम की वजह से नहीं होता है. कई बार इसके पीछे शरीर में कुछ जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है. जब हमारी त्वचा को वो जरूरी विटामिन और मिनरल नहीं मिलते, तो स्किन अपनी नमी, मजबूती और हीलिंग क्षमता खोने लगती है. खासतौर पर 3 विटामिन और कुछ मिनरल्स की कमी इसका मुख्य कारण माने जाते हैं.

विटामिन E की कमी

विटामिन ई त्वचा के लिए एक तरह की नेचुरल शील्ड की तरह काम करता है. यह स्किन की कोशिकाओं को नमी बनाए रखने में मदद करता है, जिससे स्किन सॉफ्ट और फ्लैक्सिबल बनी रहती है. लेकिन जब शरीर में इसकी कमी हो जाती है, तो स्किन रूखी, बेजान और खिंची हुई लगने लगती है. इससे पैरों की एड़ियां, जहां स्किन सबसे ज्यादा मोटी और रगड़ वाली होती है, तेजी से सूखने और फटने लगती हैं.

विटामिन C की कमी

विटामिन सी को स्किन का रिपेयर मास्टर कहा जाता है. यह कोलेजन बनाने में मदद करता है, जो स्किन को स्ट्रॉन्ग और स्मूद रखता है. अगर शरीर में विटामिन C कम हो जाए, तो स्किन में नई कोशिकाएं तेजी से नहीं बन पातीं. फटी एड़ियां ठीक होने के बजाय और गहरी और दर्दनाक हो सकती हैं, क्योंकि स्किन की हीलिंग क्षमता काफी धीमी पड़ जाती है.

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विटामिन B की कमी

विटामिन B3 (नायसिन) र विटामिन B7 (बायोटिन) त्वचा की मोटाई और गुणवत्ता बनाए रखने में बहुत जरूरी हैं. इनकी कमी से त्वचा पतली, नाजुक और आसानी से फटने वाली हो जाती है. अगर लंबे समय तक इन विटामिन्स की कमी बनी रहे, तो एड़ियां सिर्फ फटती नहीं, बल्कि उनमें जलन, खुजली और लालपन भी आने लगता है.

जिंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी

जिंक शरीर के अंदर घाव भरने और नई त्वचा बनने की प्रक्रिया को तेज करता है. जब जिंक कम हो जाता है, तो एड़ियां फटने के बाद जल्दी ठीक नहीं होती हैं. कई बार एड़ियों में दरारें इतनी गहरी हो जाती हैं कि चलना-दौरना तक मुश्किल होने लगता है. स्किन में नेचुरल ऑयल बैलेंस को बनाए रखने में ओमेगा-3 का बड़ा रोल है. अगर यह कम हो जाए, तो स्किन का ऑयल बैलेंस बिगड़ जाता है और त्वचा अंदर से सूखी रहने लगती है. यही वजह है कि ओमेगा-3 की कमी से एड़ियां बार-बार फटती हैं.

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फटी एड़ियां

एड़ी फट जाए तो क्या करें? (Cracked Heels Remedies)

1. गुनगुने पानी में पैर भिगोएं. 10 मिनट पैर भिगोने से कठोर त्वचा नर्म हो जाती है.

2. प्यूमिक स्टोन या फुट फाइल से हल्के हाथ से रगड़ें, बिना दर्द दिए सिर्फ ऊपरी डेड स्किन हटाएं.

3. ग्लिसरीन, वैसलीन और नींबू की कुछ बूंदें मिलाकर लगाएं, यह एड़ी को नमी देता है और दरारें भरने में मदद करता है.

4. रात को मोजे पहनें. इससे नमी लॉक होती है और सुबह तक त्वचा नरम रहती है.

किसकी कमी से एड़ियां फटती हैं? (Heels Crack Nutrient Deficiency)

  • विटामिन E (बादाम, पीनट बटर, सूरजमुखी के बीज, एवोकाडो)

  • विटामिन C (आंवला, नींबू पानी, संतरा, टमाटर, ब्रॉकली)
  • बायोटिन (केला, अंडा, ओट्स, मूंगफली)
  • जिंक (काजू, चना, राजमा, कद्दू के बीज)
  • ओमेगा-3 (अलसी के बीज )
  •  अखरोट, सरसों या कनोला तेल)

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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