अपने बच्चे को अनुशासन सिखाने के लिए कई बार पिटाई कर देते हैं, तो ठहर जाइए और एक बार यह रिसर्च जरूर देख लें

जब माता-पिता बच्चों की पिटाई कर देते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इस तरह की पिटाई बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर डालती है?

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गुस्से में बच्चे पर हाथ उठा देते हैं आप तो ठहर जाइए.

Parenting Tips: सोचिए, आपका बच्चा (Child) घर में रंगीन पेंसिल से कागज पर चित्र बना रहा है और खेल-खेल में दीवार पर पेंसिल चला देता है और दीवार खराब हो जाती है. क्या आप गुस्से में आकर उसे सजा देंगे? इसी तरह, अगर बच्चा बार-बार आपके कहने पर भी अपने खिलौनों को सही जगह पर नहीं रख रहा है, तो क्या आप उसे पिटाई करने पर मजबूर होंगे? ऐसे कई मौके होते हैं, जब माता-पिता (Parenting) बच्चों की पिटाई कर देते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इस तरह की पिटाई बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर डालती है?

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, बच्चों के पालन-पोषण में शारीरिक सजा का कोई लाभ नहीं होता. यह उनके विकास में केवल बाधा उत्पन्न करती है. यूनिसेफ ने 2017 में एक रिपोर्ट में बताया कि दुनिया के 2 से 4 साल के लगभग 30 करोड़ बच्चे अपने देखरेख करने वालों द्वारा मानसिक या शारीरिक सजा का अनुभव करते हैं. इनमें से अधिकांश बच्चों को थप्पड़ मारे जाने जैसी सजा दी गई थी.  

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शारीरिक सजा का प्रभाव
शारीरिक सजा का मुख्य उद्देश्य बच्चे को दर्द या कष्ट देकर उसके व्यवहार में सुधार लाना होता है. लेकिन क्या यह वास्तव में प्रभावी है? बच्चों को एक बार थप्पड़ मारने से वे अपना काम तुरंत रोक सकते हैं, लेकिन यह उन्हें लंबे समय तक अच्छे व्यवहार में मदद नहीं करता. इससे उनके अंदर डर और तनाव बढ़ता है, जो उनकी सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है.

चाइल्ड एब्यूज एंड नेगलेक्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शारीरिक सजा का सामना करने वाले बच्चों में चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है, और यह समस्याएँ वयस्कता में भी जारी रह सकती हैं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसंधान में भी पाया गया है कि जो बच्चे शारीरिक सजा का सामना करते हैं, उनका आईक्यू स्तर कम होता है.

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बच्चों को बिना सजा के समझाने के तरीके
बच्चों का गलत व्यवहार देखकर अक्सर माता-पिता परेशान होते हैं, लेकिन ऐसे समय में संयम बनाए रखना जरूरी है. यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

धीरे बोलें: बच्चे के गलत काम पर अपनी आवाज ऊंची न करें. शांति से समझाने का प्रयास करें.
भावनाओं को स्वीकारें: उनके गलत व्यवहार के पीछे की भावनाओं को समझने की कोशिश करें.
संभावित परिणाम समझाएं: बच्चे को उसके बुरे व्यवहार के परिणामों के बारे में बताएं, ताकि वह सही मार्ग अपनाए.
नए सिरे से शुरुआत करें: कठिन पल के बाद हमेशा नए सिरे से शुरुआत करें.
प्रशंसा करें: जब बच्चा अच्छा व्यवहार करे, तो उसकी तारीफ करें और प्यार से गले लगाएं.
अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स भी यही सलाह देता है कि बच्चों को शारीरिक सजा नहीं दी जानी चाहिए.

अगर आप भी शारीरिक सजा का सहारा लेते हैं, तो करें ये उपाय

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अधिकांश माता-पिता गुस्से में आकर बच्चों को सजा देते हैं. यदि आप भी ऐसा करते हैं, तो अपने बच्चे के सामने अपनी गलतियों को स्वीकार करें. इससे बच्चे को यह सिखाने का अवसर मिलेगा कि उसे किस प्रकार का व्यवहार अपनाना चाहिए.

समय दें: बच्चों को समय देना बहुत जरूरी है. उनके साथ खेलने या बातचीत करने से रिश्ते में मजबूती आती है.
अच्छी चीजों की तारीफ करें: बच्चों के अच्छे व्यवहार पर ध्यान दें और उनकी प्रशंसा करें. इससे उन्हें प्यार और विशेषता का एहसास होता है.
ध्यान भटकाने के उपाय: जब बच्चा गलत कर रहा हो, तो उसे किसी सकारात्मक गतिविधि में शामिल करने की कोशिश करें.
इन तरीकों से आप न केवल अपने बच्चे को सही दिशा में ले जा सकते हैं, बल्कि उसके मानसिक स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रख सकते हैं.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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