12 ट्रांसफर के बाद भी नहीं मानी हार, स्कूल की जमीन से कब्जा हटवाने वाले ईमानदार टीचर की कहानी

राजेंद्र प्रसाद ने बताया की वो इतनी ईमानदारी के साथ काम करते थे कि उनका ट्रांसफर कर दिया जाता था. 38 साल की नौकरी में कुल 12 ट्रांसफर का सामना किया. ईमानदारी छवि के कारण लोग उन्हें पसंद नहीं किया करते थे.

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राजेंद्र प्रसाद ने सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तरह बेहतर बनाने का काम किया.

राजेंद्र प्रसाद चौरसिया ने अपनी 38 साल की नौकरी में 12 ट्रांसफर देखे हैं. उनकी ईमानदार से लोग इस कदर डर जाते थे कि उनके ट्रांसफर की कामना करने लग जाते हैं. मध्य प्रदेश के निवासी राजेंद्र प्रसाद चौरसिया ने एक सरकारी टीचर के तौर पर अपनी सेवाएं दी हैं. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारे का काम किया. यहां तक की  स्कूलों की जमीन को अतिक्रमण से भी मुक्त कराया. राजेंद्र प्रसाद चौरसिया की कहानी ईमानदारी से भरी हुई है.

स्कूल की जमीन पर से कब्जा हटाया

राजेंद्र प्रसाद ने एक मीडिया हाउस से बात करते हुए बताया कि करीब 52 बीघा जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा था. ये जमीन स्कूल के कैंपस के अंदर आती थी. राजेंद्र प्रसाद ने इसकी शिकायत प्रशासन से की. जिसके बाद एक्शन लेते हुए जमीन पर से कब्जा हटाा गया और इस जनमीव पर सीएम राइज स्कूल खोला गया.

राजेंद्र प्रसाद ने बताया की वो इतनी ईमानदारी के साथ काम करते थे कि उनका ट्रांसफर कर दिया जाता था. 38 साल की नौकरी में कुल 12 ट्रांसफर का सामना किया. ईमानदारी छवि के कारण लोग उन्हें पसंद नहीं किया करते थे. वो ये सुनिश्चित करते थे कि स्कूल को मिला एक एक पैसा, सही से इस्तेमाल किया जाए. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि उन्होंने सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तरह बेहतर बनाने का काम किया. सरकारी स्कूल में टॉयलेट सही नहीं हुआ करते थे, ऐसे में उन्होंने इनपर ध्यान दिया और इन्हें बेहतर करवाया.

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