दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के पांच हजार नर्सिंग स्टाफ अचानक हड़ताल पर जाने से अस्पताल में भर्ती मरीजों की मुश्किल बढ़ गई है. संक्रमण के दौर में नर्सिंग स्टाफ मरीजों को वार्ड में अकेला छोड़ हड़ताल पर चला गया. एम्स नर्सिंग एसोसिएशन का कहना है कि उनकी 23 मांग में से एक भी मांग पूरी नहीं की गई है.
दरअसल नर्सिंग स्टाफ की बड़ी मांग है कि सेंट्रल पे कमीशन के छठे वेतनमान की विसंगतियां दूर की जाएं.एम्स नर्सेस एसोसिएशन का आरोप है कि सालभर पहले खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इन विसंगतियों को दूर करने का आश्वासन दिया था लेकिन करोना का बहाना लेकर अब इसे मना कर दिया गया है.
एम्स (AIIMS) के पांच हजार नर्सिंग स्टाफ को 16 तारीख से हड़ताल पर जाना था, लेकिन आरोप है कि सोमवार (14 दिसंबर) को ही एक भारत सरकार की उपक्रम कंपनी बेसिल (BECIL) को नर्सिंग स्टाफ देने का ठेका दे दिया गया. इससे नाराज नर्सिंग स्टाफ हड़ताल पर चला गया है.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक ने आज अपने 5,000-मजबूत नर्सिंग स्टाफ के लिए एक भावनात्मक अपील की, जो दोपहर में अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की.
AIIMS के प्रोफेसर रणदीप गुलेरिया ने कहा, "मुझे COVID-19 के दौरान किए गए जबरदस्त काम के लिए एम्स परिवार पर बहुत गर्व है। राष्ट्र गर्व करता है. दुर्भाग्य से, महामारी के समय, नर्सों की यूनियन हड़ताल पर चली गई है." उन्होंने एम्स नर्स यूनियन को एक वीडियो संदेश में ये बात कही.
एम्स नर्सेज यूनियन के महासचिव फेमर सीके ने एम्स निदेशक से पूछा. "प्रो रणदीप गुलेरिया के लिए हमारे मन में बहुत सम्मान है. लेकिन अगर वह दावा करते हैं कि हमारी सभी माँगें पहले ही पूरी हो चुकी हैं, तो हाल ही के सभी आश्वासन क्या थे?"