पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब के अंशों पर कुछ कहना नहीं चाहती कांग्रेस, बताई ये वजह...

किताब (The Presidential Years) में कई मुद्दों पर कांग्रेस की आलोचना की गई है. प्रकाशक ने घोषणा की कि जनवरी 2021 में ‘‘द प्रेसीडेंशियल ईयर्स’’ का वैश्विक स्तर पर विमोचन किया जाएगा.

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प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukharjee) की किताब में बचपन से उनके राष्ट्रपति बनने तक की पूरी कहानी है
बेंगलुरु:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) की नई किताब के जारी अंशों के आधार पर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है. पार्टी नेताओं का का मानना है कि पुस्तक को पूरी तरह पढ़े बगैर टिप्पणी करना सही नहीं है. किताब (The Presidential Years) में कई मुद्दों पर पार्टी की आलोचना की गई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली (Veerappa Moily) और सलमान खुर्शीद ने कहा कि किताब पूरी पढ़ने के बाद ही वे इस पर कोई जवाब दे सकते हैं.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) किताब का अभी तक विमोचन नहीं हुआ है. यह समझना होगा कि उन्होंने किस संदर्भ में ये बातें लिखी हैं. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि किताब पूरी तरह पढ़ने के बाद ही वह इस पर कोई राय जाहिर करेंगे. प्रकाशक ‘रूपा बुक्स' ने शुक्रवार को घोषणा की कि जनवरी 2021 में ‘‘द प्रेसीडेंशियल ईयर्स'' का वैश्विक स्तर पर विमोचन किया जाएगा.मुखर्जी ने पार्टी नेताओं के इन विचारों का जोरदार खंडन किया है कि अगर वह 2004 में प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी हार को टाल देती.

प्रणब ने किताब में लिखा, ‘मेरा मानना है कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी नेतृत्व ने राजनीतिक फोकस खो दिया. सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) जहां पार्टी मामलों को देखने में विफल हो गईं, वहीं सदन से लंबे समय तक अनुपस्थित रहने से डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh)  ने अन्य सांसदों से व्यक्तिगत संपर्क खो दिया.' पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी कहा कि टिप्पणी करने से पहले किताब को पूरी तरह पढ़ने की जरूरत है. कांग्रेस नेता ने कहा, इतना व्यापक अनुभव वाला कोई व्यक्ति अगर कुछ लिखता है तो पूरा पढ़ने की जरूरत है कि किस परिप्रेक्ष्य में ऐसा लिखा गया है.

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इस किताब (The Presidential Years) में बंगाल के एक सुदूर गांव में लैंप की रोशनी में पलने-बढ़ने से लेकर राष्ट्रपति भवन में भारत के प्रथम नागरिक के तौर पर उनकी यात्रा का वर्णन है.पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी कहा कि टिप्पणी करने से पहले किताब को पूरी तरह पढ़ने की जरूरत है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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