पूरे देशभर में उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा (Chhath Puja) शनिवार को समाप्त हो गई. बिहार के पटना, झारखंड के रांची तथा उत्तर प्रदेश के वाराणसी, गोरखपुर और लखनऊ समेत अन्य जगहों पर नदी के घाटों पर चार दिवसीय छठ पूजा के अंतिम दिन श्रद्धालओं ने सूर्य की पूजा करके व्रत का पारण किया. बिहार की राजधानी पटना में लोगों ने पटना कॉलेज घाट पर 'ऊषा अर्घ्य' दिया. इस दौरान, कहीं कहीं कोरोनावायरस (Coronavirus) प्रोटोकॉल के नियमों की अनदेखी भी की गई. तस्वीरों में लोगों की भारी भरकम भीड़ को बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हुए देखा जा सकता है.
कुछ ऐसा ही नजारा वाराणसी में गंगा नदी के किनारे पूजा कर रहे श्रद्धालुओं के बीच देखने को मिला. हालांकि, इस दौरान कई लोगों ने घर में रहना बेहतर समझा और अस्थायी तौर पर बनाए गए घाटों से उगते सूर्य को अर्घ्य दिया. कोरोनावायरस को रोकने के लिए लागू प्रतिबंधों के बीच दिल्ली, मुंबई समेत अन्य बड़े शहरों में भी लोगों ने छठ पूजा संपन्न की. कोरोना के समय में लोग छठ भी अलग ढंग से मनाने को मजबूर हैं. शुक्रवार को बनारस में लोगों ने अपनी छतों से ही छठ मनाई. लोग अपने घर की छतों पर खड़े होकर ही सूर्य को अर्घ्य देते नजर आए.
हालांकि, कोरोनावायरस का असर छठ पूजा पर भी देखने को मिला है. कई लोग मीलों चलकर पटना में गंगाघाट पर छठ करने पहुंचे थे, लेकिन बाकी साल के मुकाबले इस बार वहां लोगों की संख्या कम थी. बिहार और पूर्वांचल में छठ पूजा का बहुत महत्व है और इसे पूरे उत्साह तथा स्वच्छता के साथ मनाया जाता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक आवास पर ‘अस्ताचलगामी सूर्य' को अर्घ्य दिया. 15 साल पहले मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद से नीतीश अर्घ्य देने की परंपरा निभा रहे हैं. हर साल स्टीमर पर सवार होकर गंगा घाट जाने और वहां व्रतियों से मिलने वाले नीतीश इस साल अपने घर पर ही हैं और मास्क लगाकर पूजा की.
(भाषा के इनपुट के साथ)