Vice President Salary: उपराष्ट्रपति को सैलरी के साथ-साथ आवास, हाई सिक्योरिटी सहित मिलती कई सुविधाएं, रिटायरमेंट के बाद पेंशन

Vice President Salary: उप-राष्ट्रपति अपने पद के साथ राज्य सभा के सभापति यानी अध्यक्ष भी होते हैं, इसलिए उनकी सैलरी भी अच्छी होती है और उन्हें कई सुविधाएं दी जाती है.

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नई दिल्ली:

Vice President Salary: उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद जगदीप धनखड़ इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं. इस्तीफे के बाद भी उन्हें कई तरह की सुविधाएं और पेशन दी जाएगी. लोग उनकी सैलरी और अलावेंस के बारे में जानना चाह रहे हैं, इससे पहले जानिए कि उपराष्ट्रपति का काम क्या है. भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश के राजनीतिक व्यवस्था में एक प्रतिष्ठित पद माना जाता है. ये पद  सरकार के कामकाज में राष्ट्रपति का सहयोग के लिए होता है. इस पद पर आने वाले को कई जिम्मेदारी संभालनी पड़ती है, उप-राष्ट्रपति अपने पद के साथ राज्य सभा के सभापति यानी अध्यक्ष भी होते हैं, इसलिए उनकी सैलरी भी अच्छी होती है और उन्हें कई सुविधाएं दी जाती है. सैलरी जानने के पहले इन बातों को भी जान लें कि भारत के उपराष्ट्रपति को पर्याप्त वार्षिक वेतन निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है तथा नियमों के अनुसार समय-समय पर इसमें बदलाव होते रहते हैं. 

पर्सनल सेक्रेटरी सहि हाई सिक्योरिटी 

2021 की कटऑफ के अनुसार, उपराष्ट्रपति का वार्षिक वेतन 15 लाख रुपये (भारतीय रुपये) प्रति वर्ष निर्धारित किया गया था. जिसे बाद में बदला गया.  जानकारी के मुताबिक, उपराष्ट्रपति की सैलरी 4 लाख प्रति महीने होती है. इसके अलावा उनके पात्रता के अनुसार, आधिकारिक खर्च और ऑफिस के रख-रखाव के लिए भत्ते दिए जाते हैं. उन्हें एक आधिकारिक आवास भी मिलता है. 24 घंटे मेडिकल सुविधाएं दी जाती है. स्टाफ के साथ सेक्रेटरी और पद से रिटायर होने के बाद पेंशन भी दिए जाते हैं.  सैलरी का आधा पैसा पेंशन के रूप में दिया जाएगा, इस हिसाब से उन्हें 1,50,000 रुपये से 2,00,000 रुपये तक पेंशन के रूप में दिए जाएंगे
 

इन बातों को भी जान लें

उपराष्ट्रपति की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है, उनका कार्यकाल पांच सालों का होता है. हालांकि पद संभालने के से पहले उपराष्ट्रपति को 6 महीने के प्रोबेशन अवधि पूरी करनी होती है. 
अगर भारत के राष्ट्रपति चाहे तो उपराष्ट्रपति की प्रोबेशन समय को आगे बढ़ाया जा सकता है.
जरूरत पड़ने पर उपराष्ट्रपति को राज्यसभा में टाई-ब्रेकिंग वोट (निर्णायक मत) देने का भी अधिकार होता है.

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