SPG vs NSG : भारत की सुरक्षा की जब बात आती है तो दो नाम सबसे पहले दिमाग में आते हैं, SPG (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) और NSG (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड). ये दोनों ही बल अपनी-अपनी जगह पर बहुत ताकतवर हैं. इनकी जिम्मेदारियां भले ही अलग हों, लेकिन मकसद सिर्फ एक है, देश की रक्षा करना और उन खास लोगों को सुरक्षित रखना जो राष्ट्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.
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SPG का नाम आते ही दिमाग में प्रधानमंत्री की सुरक्षा का ख्याल आता है, वहीं NSG को लोग 'ब्लैक कैट' कमांडो के नाम से जानते हैं, जो आतंकियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि SPG और NSG देश की ढाल हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में भर्ती कैसे होती है? इनकी ट्रेनिंग कितनी कठिन होती है? और आखिर इन कमांडोज़ को कितना सैलरी पैकेज मिलता है? आइए, इन दोनों बलों की दुनिया को और करीब से जानते हैं.
SPG और NSG की भूमिका
SPG यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की शुरुआत1985 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई थी. इसका फोकस सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके करीबी परिवार की सुरक्षा पर है. 2019 में हुए संशोधन के बाद SPG अब सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री और उनके साथ रहने वाले परिवार की ही सुरक्षा करता है. इसका आदर्श वाक्य है "शौर्यं समर्पणं सुरक्षाम".
वहीं NSG यानी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद बना. इसे ब्लैक कैट कमांडो भी कहा जाता है. NSG का काम आतंकवाद से लड़ना, बंधकों को छुड़ाना और Z+ कैटेगरी वाले VVIPs की सुरक्षा करना है. इसका आदर्श वाक्य है "सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा". NSG गृह मंत्रालय के तहत काम करता है और इसमें 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप (काउंटर टेररिज्म) और 52 स्पेशल एक्शन ग्रुप (एंटी-हाइजैकिंग) शामिल हैं.
भर्ती प्रक्रिया
SPG में डायरेक्ट भर्ती नहीं होती. इसमें CRPF, CISF, BSF, SSB जैसे CAPF और IPS अधिकारियों को डेपुटेशन पर लिया जाता है. इसके लिए सर्विस रिकॉर्ड, अनुशासन, शारीरिक और मानसिक टेस्ट, लिखित परीक्षा और गहरी सिक्योरिटी चेक की जाती है. SPG में पोस्टिंग आमतौर पर 3 से 5 साल की होती है.
NSG में भी यही सिस्टम है. यहां भर्ती भारतीय सेना (54%) और CAPF (46%) जैसे CRPF, ITBP, BSF और CISF से होती है. 5 किलोमीटर दौड़, रस्सी चढ़ाई, बाधा कोर्स, मनोवैज्ञानिक टेस्ट और पृष्ठभूमि की सख्त जांच होती है. NSG की शुरुआती ट्रेनिंग इतनी कठिन होती है कि 90% उम्मीदवार उसी में बाहर हो जाते हैं.
ट्रेनिंग
SPG की ट्रेनिंग CIA और US सीक्रेट सर्विस से प्रेरित मानी जाती है. इसमें क्लोज प्रोटेक्शन, मार्शल आर्ट्स, निहत्थे युद्ध करना, मॉडर्न हथियारों जैसे FN-SCAR, MP-5 और Glock पिस्टल का इस्तेमाल, बम डिस्पोज़ल और तकनीकी स्किल्स सिखाई जाती हैं.
NSG की ट्रेनिंग ब्रिटिश SAS और जर्मन GSG-9 की तर्ज पर होती है. यहां आतंकवाद-रोधी मिशन, बंधक बचाव, विमान अपहरण से निपटना और शहरी युद्ध की ट्रेनिंग दी जाती है. 26 हफ्तों की यह ट्रेनिंग इतनी कठिन होती है कि ज्यादातर कैंडिडेट पास नहीं कर पाते. NSG कमांडो को MP5, स्नाइपर राइफल्स और एडवांस्ड कम्युनिकेशन इक्विपमेंट की ट्रेनिंग दी जाती है.
सैलरी और भत्ते
SPG कमांडो की मासिक सैलरी 84,236 रुपए से 2,44,624 रुपए तक होती है. इसमें बेसिक पे 35,400 से 1,12,400 रुपए, जोखिम भत्ता 10,000 से 25,000 रुपए, स्पेशल ड्यूटी भत्ता 7,500 से 20,000 रुपए शामिल है. सालाना ड्रेस अलाउंस ऑपरेशनल ड्यूटी के लिए 27,800 रुपए और नॉन-ऑपरेशनल ड्यूटी के लिए 21,225 रुपए है. साथ ही HRA, मेडिकल सुविधाएं, फ्री ट्रैवल और कैंटीन तक एक्सेस भी मिलता है. कटौतियों के बाद इन-हैंड सैलरी 97,601 से 1,00,245 रुपए और वार्षिक पैकेज 13.2 से 24 लाख रुपए तक पहुंचता है.
NSG कमांडो की सैलरी भी रैंक पर निर्भर करती है. ग्रुप कमांडर को करीब 1 लाख रुपए, स्क्वाड्रन कमांडर को 90,000 रुपए और सामान्य कमांडो को 56,100 से 1,77,500 रुपए (Pay Level 8) तक मिलते हैं. इसमें भी जोखिम भत्ता, स्पेशल अलाउंस और अन्य सुविधाएं जुड़ती हैं. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार NSG के DG को 2 से 3 लाख और ADG को 1.5 से 2 लाख रुपए तक मिलता है.
खासियत और सम्मान
SPG को अब तक 1 शौर्य चक्र, 45 राष्ट्रपति पुलिस पदक (विशिष्ट सेवा) और 347 पुलिस पदक (सराहनीय सेवा) मिल चुके हैं. मणिपुर की Adaso Kapesa देश की पहली महिला SPG कमांडो हैं, जो आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में तैनात हैं.
NSG ने 26/11 मुंबई हमलों जैसे अभियानों में अपनी वीरता साबित की है. इसे आतंकवाद-रोधी ऑपरेशनों में दुनिया का सबसे भरोसेमंद बल माना जाता है.
कुल मिलाकर SPG और NSG दोनों देश की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं. SPG सिर्फ प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर केंद्रित है, जबकि NSG आतंकवाद-रोधी और VVIP सिक्योरिटी की बड़ी जिम्मेदारी उठाता है. ये दोनों सेवाएं असल मायने में भारत की ढाल हैं, जो हर खतरे के सामने सीना तानकर खड़े रहते हैं.