Ramdhari Singh Dinkar Poem: रामधारी सिंह दिनकर की पढ़िए 'जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी'

Ramdhari Singh Dinkar Poem: राष्ट्रीय कवि से प्रख्यात रामधारी सिंह के साहित्य में योगदान को शब्दों से नहीं बताया जा सकता. अब पढ़िए दिलों में जोश भरने वाली उनका शानदार रचना.

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नई दिल्ली:

Ramdhari Dinkar ki kavitayen: राष्ट्रीय कवि से प्रख्यात रामधारी सिंह साहित्य के वह सशक्त हस्ताक्षर हैं जिनकी कलम में दिनकर यानी सूर्य के समान चमक थी. उनकी कविताएं पढ़ने के बाद आपके अंदर एक अलग ही तरह का जोश भर जाएगा. दिनकर ने वैसे तो कई कविताएं लिखी है, लेकिन उनकी हर रचनाओं को खूब पसंद किया गया. उनकी कविताएं साहस, देशभक्ति और सामाजिक चेतना से भरी होती हैं, जो आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं. अब पढ़िए दिलों में जोश भरने वाली उनका शानदार रचना.


जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

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पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

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अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

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