QS Rankings 2026: वर्ल्ड रैंकिंग में भारत के 54 संस्थानों का जलवा, IIT दिल्ली भारतीय संस्थानों में टॉप पर 

QS World University Rankings 2026: क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग (QS Rankings 2026) में भारत के 54 संस्थानों का जलवा है. आठ सालों में पहली बार है जब आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारतीय संस्थानों में टॉप पर है.

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QS Rankings 2026: वर्ल्ड रैंकिंग में भारत के 54 संस्थानों का जलवा, IIT दिल्ली भारतीय संस्थानों में टॉप पर 
नई दिल्ली:

QS World University Rankings 2026: भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली ने वैश्विक मंच पर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारत के 54 संस्थानों ने स्थान हासिल किया है, जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT Delhi) देश का टॉप इंस्टीट्यूट बनकर उभरा है. इस रैंकिंग में लगभग आधे भारतीय संस्थानों ने अपनी स्थिति में सुधार दर्ज किया है, जो भारत की शैक्षिक प्रगति का स्पष्ट संकेत है. वैश्विक स्तर पर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने लगातार 14वें वर्ष शीर्ष स्थान बरकरार रखा है.

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QS Rankings 2026: IIT Delhi भारतीय संस्थानों में टॉप पर 

आईआईटी दिल्ली ने इस साल शानदार प्रदर्शन करते हुए वैश्विक रैंकिंग में 123वां स्थान हासिल किया है, जो पिछले साल यानी 2025 की 150वीं और 2024 की 197वीं रैंक से उल्लेखनीय सुधार है. यह भारत का सर्वोच्च रैंक वाला संस्थान बन गया है. संस्थान ने कई प्रमुख मापदंडों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया-

एम्प्लॉयर रेप्युटेशन में आईआईटी दिल्ली का वैश्विक स्तर पर 50वां स्थान है, वहीं सिटेशन्स पर फैकल्टी में 86वां स्थान जबकि एकेडमिक रेप्युटेशन में आईआईटी दिल्ली का 142वां स्थान है.

QS Rankings 2026:आईआईटी बॉम्बे इस साल 129वें स्थान पर

क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में अन्य भारतीय संस्थानों का शानदार प्रदर्शन किया है. आईआईटी दिल्ली के बाद, आईआईटी बॉम्बे इस साल 129वें स्थान पर रहा, जो पिछले साल की 118वीं रैंक से थोड़ा नीचे है. भारतीय संस्थानों में सबसे प्रभावशाली सुधार आईआईटी मद्रास ने दर्ज किया है. आईआईटी मद्रास साल 2025 में 227वें स्थान से 47 पायदान की छलांग लगाकर 180वां स्थान प्राप्त किया. अन्य प्रमुख भारतीय संस्थानों में आईआईटी खड़गपुर (215), आईआईएससी बैंगलोर (219) और दिल्ली विश्वविद्यालय (328) शामिल हैं.

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QS Rankings 2026: प्राइवेट संस्थान 

निजी संस्थानों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की, जिसमें बिट्स पिलानी (668) और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (851-900) जैसे निजी संस्थानों ने भी अपनी स्थिति बनाए रखी है या उसमें सुधार किया है. 

QS Rankings 2026: MIT का दबदबा

क्यूएस रैंकिंग 2026 में भारत के 54 विश्वविद्यालयों ने स्थान बनाया है, जिसके साथ भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और mainland China के बाद चौथा सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बन गया है. इस साल आठ भारतीय संस्थानों ने क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 लिस्ट में पहली बार प्रवेश किया है, जो किसी भी देश से नई प्रविष्टियों की सबसे अधिक संख्या है, जो वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती शैक्षणिक दृश्यता को दर्शाता है.

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वैश्विक स्तर पर MIT ने अपना दबदबा कायम रखा है, उसके बाद  दूसरे स्थान पर इंपीरियल कॉलेज लंदन और तीसरे स्थान पर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी है। संयुक्त राज्य अमेरिका 192 संस्थानों के साथ सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बना हुआ है-जिनमें से कई ने इस वर्ष अपनी रैंकिंग में सुधार किया है.

क्यूएस रैंकिंग में एशिया का मजबूत प्रदर्शन जारी रहा, जिसमें पेकिंग यूनिवर्सिटी 14वें, सिंगहुआ यूनिवर्सिटी 17वें और फुडान यूनिवर्सिटी 30वें स्थान पर रही। हॉन्ग कॉन्ग SAR और आयरलैंड को सबसे अधिक सुधार करने वाले शिक्षा तंत्रों में गिना गया। यूरोप में इटली के पॉलिटेक्निको डि मिलानो ने पहली बार शीर्ष 100 में प्रवेश किया, जो 98वें स्थान पर रहा.

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QS Rankings 2026: रैंकिंग पद्धति

इस साल की रैंकिंग में 100 से अधिक स्थानों के 1,500 से ज्यादा विश्वविद्यालय शामिल किए गए है. इस साल एक उल्लेखनीय जोड़ अंतर्राष्ट्रीय छात्र विविधता (आईएसडी) मीट्रिक है, जिसे एक अनिर्धारित संकेतक के रूप में पेश किया गया है. यह अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अनुपात और राष्ट्रीय प्रसार दोनों को दर्शाता है. यह वैश्विक रूप से समावेशी कैंपस वातावरण को मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

QS Rankings 2026: शोध और रोजगार में भारत की धमक

भारत ने अनुसंधान प्रभाव और रोजगार प्रतिष्ठा जैसे मापदंडों में भी शानदार प्रदर्शन किया है. पांच भारतीय संस्थानों ने एम्प्लॉयर रेप्युटेशन में विश्व के शीर्ष 100 में जगह बनाई. इसके अलावा, आठ भारतीय विश्वविद्यालयों ने सिटेशन्स पर फैकल्टी में शीर्ष 100 में स्थान प्राप्त किया, जिनका औसत स्कोर 43.7 रहा, जो जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका से अधिक है। यह भारत के अनुसंधान क्षेत्र में बढ़ते योगदान को दर्शाता है.

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