NMC ने मेडिकल इंस्टीट्यूट्स को दी सलाह, 12 अगस्त को मनाएं Anti-Ragging Day

यूजीसी ने यह भी सुझाव दिया है कि परिसर में कार्यशाला, सेमिनार, संवाद सत्र जैसे कार्यक्रमों के साथ-साथ रचनात्मक गतिविधियां जैसे 'सेल्फी कॉर्नर' लगाकर जागरुकता फैलाई जाए और छात्रों को डिजिटल पोस्टर, रील्स और लघु वीडियो की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए.

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प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रमाणपत्र और पुरस्कार देने का सुझाव भी दिया गया है.

National medical commission advisory : राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने एक नोटिस जारी कर देश के सभी चिकित्सा संस्थानों से 12 अगस्त को 'रैगिंग-रोधी दिवस' के रूप में मनाने और 12 से 18 अगस्त तक 'रैगिंग-रोधी सप्ताह' आयोजित करने को कहा है. आपको बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने साल 2023 में यह निर्णय लिया था कि रैगिंग के खिलाफ जागरुकता बढ़ाने के लिए 12 अगस्त को 'रैगिंग-रोधी दिवस' और 12 से 18 अगस्त तक 'रैगिंग-रोधी सप्ताह' के रूप में मनाया जाएगा.

 रैगिंग की समस्या होगी समाप्त

एनएमसी ने बृहस्पतिवार को जारी नोटिस में कहा, ‘‘यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की समस्या को समाप्त करने के लिए नियम बनाए हैं. ये नियम अनिवार्य हैं और सभी संस्थानों को इनका पूर्ण रूप से पालन करना आवश्यक है, जिसमें निगरानी तंत्र भी शामिल है.''

यूजीसी (University grant commission) ने रैगिंग रोकने के लिए विभिन्न जागरुकता कार्यक्रम और मीडिया अभियान भी शुरू किए हैं. आयोग ने बताया कि रैगिंग पर रोक से संबंधित वीडियो भी उसकी वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं, जिन्हें उच्च शिक्षण संस्थान उपयोग कर सकते हैं.

प्रतियोगिताओं का भी किया जाएगा आयोजन

सार्वजनिक नोटिस के साथ यूजीसी का 22 जुलाई को जारी एक परामर्श भी संलग्न किया गया है, जिसमें संस्थानों से नारा लेखन, निबंध लेखन, पोस्टर बनाना, लोगो डिजाइनिंग, नुक्कड़ नाटक, फोटोग्राफी, वाद-विवाद आदि जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित करने का आग्रह किया गया है.

प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रमाणपत्र और पुरस्कार देने का सुझाव भी दिया गया है. इसके अतिरिक्त, सोशल मीडिया अभियानों, संस्थान प्रमुखों के वीडियो संदेश वेबसाइट और सोशल मीडिया पर प्रदर्शित करने तथा रैगिंग-रोधी लघु फिल्मों की स्क्रीनिंग की भी सलाह दी गई है.

यूजीसी ने यह भी सुझाव दिया है कि परिसर में कार्यशाला, सेमिनार, संवाद सत्र जैसे कार्यक्रमों के साथ-साथ रचनात्मक गतिविधियां जैसे 'सेल्फी कॉर्नर' लगाकर जागरुकता फैलाई जाए और छात्रों को डिजिटल पोस्टर, रील्स और लघु वीडियो की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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