यूपी के स्कूलों में छात्रों का अखबार पढ़ना जरूरी, रोजाना करने होंगे ये काम

UP School New Rules: स्कूलों में सरकारी खर्चे पर अखबार खरीदे जाएंगे और सभी छात्रों को तमाम खबरों के बारे में बताया जाएगा. साथ ही छात्रों से अखबार में मौजूद खबरों को लेकर सवाल भी पूछे जा सकते हैं.

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यूपी के स्कूलों में नया नियम

UP School New Rule: उत्तर प्रदेश के स्कूलों में एक नया नियम लागू किया गया है. इस नियम के तहत अब सरकारी स्कूलों में रोजाना अखबार यानी न्यूज पेपर पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है. शिक्षा के स्तर को और बेहतर बनाने और छात्रों के सामान्य ज्ञान को बेहतर करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से ये फैसला लिया गया है. बताया गया है कि इस नई व्यवस्था का उद्देश्य बच्चों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर उन्हें देश-दुनिया की तमाम जरूरी घटनाओं से जोड़ना है. खास बात ये है कि हर छात्र को अखबार पढ़ना पड़ेगा और इसमें मौजूद बातें उनसे पूछी जा सकती हैं. 

बच्चों के शब्दकोश में होगी बढ़ोतरी

यूपी बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से बताया गया है कि इस पहल के पीछे का मकसद बच्चों के शब्दकोश में बढ़ोतरी करना और उनकी भाषा शैली को सुधारना है. अक्सर देखा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र सूचनाओं के अभाव में पिछड़ जाते हैं. नियमित रूप से अखबार पढ़ने से न केवल उनका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा, बल्कि उनमें तार्किक क्षमता और दुनिया को समझने का एक नया नजरिया भी विकसित होगा. यही वजह है कि प्रदेश के तमाम सरकारी स्कूलों में ये जरूरी किया गया है. 

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कैसे लागू होगी ये व्यवस्था?

विभाग की तरफ से जारी निर्देशों के मुताबिक अब स्कूलों में रोजाना अखबार उपलब्ध कराए जाएंगे. यानी सरकारी खर्चे पर ही अखबार खरीदे जाएंगे. अखबार पढ़ने के बाद छात्रों को सुबह की असेंबली के दौरान अखबार में छपी बड़ी खबरें बतानी होंगीं. इसके अलावा उनसे पांच शब्द भी पूछे जाएंगे, जो उन्होंने अखबार से सीखे हैं. इसमें शिक्षक छात्रों को खबरों का विश्लेषण करना सिखाएंगे और महत्वपूर्ण घटनाओं पर क्लास में चर्चा करेंगे. इसके अलावा अखबारों में छपने वाली प्रेरणादायक कहानियों पर ध्यान दिया जाएगा, जिससे बच्चों की समझ और बेहतर हो सके. 

अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारी

यूपी के स्कूलों में इस नई नीति को जमीनी स्तर पर प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को जिम्मेदारी  सौंपी गई है. विभाग का मानना है कि इस कदम से सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की तरह तमाम विषयों की जानकारी होगी और पता चलेगा कि देश-दुनिया में क्या चल रहा है. इसके अलावा छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार हो सकेंगे. 

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