पानीपुरी बेचने वाले के बेटे ने किया कमाल, 11वीं में फेल होने के बाद भी बना IITian

Success Story: स्कूल के छात्र हर्ष का मजाक उड़ाते थे. कहते थे ये तेरे बस का नहीं है, पानीपुरी बेच-पानीपुरी. भला पानीपुरी वाले का बेटा IIT कैसे निकालेगा. इन तानों को हर्ष ने अपने जुनून में बदला और आईआईटी जेईई ही नहीं जेईई एडवांस्ड भी क्वलिफाई किया.

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पानीपुरी बेचने वाले के बेटे ने किया कमाल, 11वीं में फेल होने के बाद भी बना IITian
नई दिल्ली:

Mumbai Panipuri Sellers Son Success Story: ''कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती'' सोहन लाल द्विवेदी की यह कविता मुबंई के हर्ष गुप्ता (Harsh Gupta) पर एक दम सटीक बैठती है, जिसने 11वीं में फेल (11th Fail) होने के बाद भी देश-दुनिया की कठिनतम परीक्षाओं में से एक जेईई मेन (JEE Main) क्वलिफाई किया और आज वह आईआईटी रूड़की (IIT Roorkee) का छात्र है. सफलता की यह कहानी मुंबई के कल्याण से ताल्लुक रखने वाले 19 वर्षीय हर्ष गुप्ता की है, जिसने यह साबित कर दिया है कि कठिन परिश्रम, आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है. हर्ष 11वीं क्लास की परीक्षा में फेल हो गया था. उस वक्त शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यही लड़का एक दिन देश की इंजीनियरिंग की सबसे प्रतिष्ठित संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में पढ़ेगा. लेकिन हर्ष ने हार नहीं मानी और आज वह IIT रूड़की में दाखिला लेकर हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है.

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पिता चलाते हैं पानीपुरी का ठेला

हर्ष के पिता संतोष गुप्ता कल्याण में एक छोटा-सा पानीपुरी का ठेला लगाते हैं. सीमित संसाधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपने बेटे के सपनों को मरने नहीं दिया. हर्ष बताता है, “मेरे पापा ने हमेशा कहा कि वह पढ़ नहीं पाए, लेकिन मैं अपने सपने जरूर पूरा करूं.”

11वीं में असफलता, लेकिन हौसला कायम

11वीं की असफलता हर्ष के लिए एक बड़ा झटका थी. लेकिन उसने नकारात्मक सोच को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. कड़ी मेहनत के साथ पढ़ाई की और 12वीं की परीक्षा पास की. इस बार हर्ष ने न सिर्फ 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की, बल्कि जेईई मेन (JEE Mains) में 98.59 पर्सेंटाइल हासिल कर जेईई एडवांस्ड (JEE Advanced) के लिए भी क्वालिफाई किया.

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10 से 12 घंटे रोज की पढ़ाई

अपनी तैयारी को गंभीरता से लेते हुए हर्ष राजस्थान के कोटा शहर चला गया, जो कि इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए देशभर में मशहूर है. वहां दिन में 10-12 घंटे की पढ़ाई कर, खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया. पहली बार में हर्ष को मनचाहा कॉलेज नहीं मिला, लेकिन उसने हार नहीं मानी. दूसरे प्रयास में हर्ष को आखिरकार आईआईटी रूड़की में दाखिला मिल गया. हर्ष का मानना है कि असफलता अंत नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत का संकेत होता है. हर्ष ने कहा, “असफलता से डरिए मत. मैं भी असफल हुआ था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. मेहनत की और आज मैं अपने परिवार का पहला IITian बन पाया हूं.” 

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तानों से मिला आत्मबल

हर्ष बताते हैं कि जब वह 11वीं में फेल हुए थें, तब स्कूल के कई छात्र उसका मज़ाक उड़ाते थे. कहते थे कि “पानीपुरी वाले का बेटा IIT कैसे निकालेगा?” लेकिन हर्ष ने उन तानों को अपने जुनून में बदला और बिना पीछे मुडे मेहनत करता गया और सफलता ने उसके कदम चूमें.  अब जब हर्ष के आईआईटी का सपना पूरा हो चुका है तो उसका अगला लक्ष्य सिविल सेवा (UPSC) की परीक्षा पास करना है. यूपीएससी की परीक्षा पास कर हर्ष देश की सेवा करना चाहता है.

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मेरे लिए गर्व की बात 

अपने बेटे हर्ष की सफलता देख पिता संतोष गुप्ता की आंखों में खुशी के आंसू हैं. वह कहते हैं, “मैं भले ही पानीपुरी बेचता हूं, लेकिन बच्चों के सपनों के आगे कोई कमी नहीं आने दूंगा. हर्ष की सफलता मेरे लिए गर्व की बात है.”

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