JNUSU Elections: दिल्ली की मशहूर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में छात्रसंघ चुनाव के नतीजे सामने आए हैं. पिछले कई दिनों से तमाम छात्र संगठन इसकी तैयारी कर रहे थे. इस बार लेफ्ट के सभी दल मिलकर चुनाव लड़ रहे थे और एबीवीपी के साथ उनकी कांटे की टक्कर थी. जेएनयू छात्रसंघ के चुनावों का अपना इतिहास है और इस दौरान कई तरह के रंग देखने के लिए मिलते हैं. कांग्रेस में शामिल हो चुके कन्हैया कुमार भी एक दौर में जेएनयू छात्र संघ चुनाव का चेहरा थे और उन्होंने अध्यक्ष पद पर जीत भी दर्ज की. इस दौरान वो कई विवादों में भी रहे, हालांकि एक ऐसा भी किस्सा है, जिसे आज भी वो याद करते हैं.
जेएनयू से चर्चा में आए थे कन्हैया कुमार
आज कांग्रेस के फायरब्रांड नेता बन चुके कन्हैया कुमार का नाम जेएनयू से ही मशहूर हुआ था. उन पर देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगा, जिसके बाद देशभर में उनकी खूब चर्चा हुई. जेएनयू से निकलने के बाद कन्हैया ने पॉलिटिक्स में एंट्री की और अब कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में जेएनयू चुनाव में हुई जीत का जिक्र किया और बताया कि कैसे जीत के बाद सभी दलों का झंडा उनके कंधे पर था. कन्हैया कुमार ने साल 2015 में जेएनयू छात्रसंघ का चुनाव जीता था और अध्यक्ष बने थे, वो तब छात्र संगठन AISF से जुड़े थे.
जब पूरे JNU को दो महीने के लिए कर दिया गया था बंद, चप्पे-चप्पे पर तैनात थी पुलिस
जीत के बाद निकाला था यूनिटी मार्च
कन्हैया कुमार ने बताया कि जब वो जेएनयू में थे तो उन्होंने एक ही विचारधारा वाले छात्र संगठनों को एकजुट करने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इसके बाद उन्होंने अध्यक्ष का चुनाव अकेले लड़ा. कन्हैया ने कहा, 'जीत के बाद हमने विक्ट्री मार्च नहीं निकाला, हमने यूनिटी मार्च निकाला था. इस दौरान एबीवीपी को छोड़कर सभी दलों का झंडा मेरे कंधे पर था. इसमें सभी लेफ्ट पार्टियां और बाफ्सा का झंडा था. ऐसा इसलिए किया, क्योंकि मुझे लगता है कि यूनाइट होना जरूरी है.'
जेएनयू में लेफ्ट का दबदबा
जेएनयू में हमेशा से लेफ्ट दलों का दबदबा रहा है, 2000 के चुनाव को छोड़ दें तो एबीवीपी अब तक इस चुनाव में जीत दर्ज नहीं कर पाई है. इस साल एबीवीपी के संदीप महापात्रा ने चुनाव जीता था. वहीं एक बार एनएसयूआई को जीत मिली थी. इसके अलावा लेफ्ट के SFI और AISA जैसे संगठनों का जेएनयू में पिछले कई सालों से दबदबा रहा है.