IIT रुड़की की नई तकनीक: 'हाईइको' से मिलेगी बाढ़ में बीमारियों के फैलाव की रियल-टाइम जानकारी

IIT Roorkee news : अपनी तरह का पहला मॉडलिंग ढांचा बाढ़ मानचित्रण, सूक्ष्मजीवी जल गुणवत्ता सिमुलेशन एंव मात्रात्मक सूक्ष्मजीवी जोखिम मूल्यांकन (QMRA) को एकीकृत करता है.

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IIT Roorkee : इस नए ढाँचे का परीक्षण 2023 की दिल्ली बाढ़ पर किया गया, जो हाल के दिनों की सबसे भीषण बाढ़ों में से एक थी.

IIT Roorkee : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के शोधकर्ताओं ने 'हाईइको' विकसित किया है, जो अपनी तरह का पहला एकीकृत बाढ़-जल गुणवत्ता मॉडलिंग प्लेटफॉर्म है, जो न केवल यह भविष्यवाणी करता है कि शहरी बाढ़ का पानी पूरे शहर में कैसे फैलेगा, बल्कि यह भी दर्शाता है कि संभावित रोग पैदा करने वाले रोगाणु बाढ़ के पानी में कैसे फैल सकते हैं और कहां लोगों के प्रभावित होने का सबसे अधिक खतरा है.

इस नए ढांचे का परीक्षण 2023 की दिल्ली बाढ़ पर किया गया, जो हाल के दिनों की सबसे भीषण बाढ़ों में से एक थी. परिणाम चौंकाने वाले थे. 60% से ज्यादा बाढ़ग्रस्त क्षेत्र उच्च से लेकर अति-उच्च खतरे वाले क्षेत्रों में थे, और पानी में हानिकारक बैक्टीरिया (ई. कोलाई) सुरक्षित सीमा से लाख गुना ज़्यादा पाए गए. खास तौर पर बच्चों को बाढ़ के पानी में खेलते समय संक्रमण का खतरा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सुरक्षा स्तर से दोगुने से भी ज़्यादा था.

कई भारतीय शहरों में बाढ़ का पानी अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक कचरे के साथ मिलकर एक जहरीला मिश्रण बनाता है जिससे डायरिया, हैजा और अन्य खतरनाक जल-जनित बीमारियां फैल सकती हैं. हाईईको अधिकारियों को इन खतरों को पहले से पहचानने, "स्वास्थ्य के लिए खतरा बने प्रमुख स्थानों" की पहचान करने और लोगों की सुरक्षा के लिए त्वरित कार्रवाई करने में सहायता कर सकता है, उदाहरण के लिए, सीवेज उपचार में सुधार करके, मानसून से पहले नालियों की सफाई करके, एसएमएस अलर्ट के जरिए निवासियों को चेतावनी देकर, और उन्नत जल-शोधन विधियों का उपयोग करके.

यह शोध भारत सरकार के प्रमुख मिशनों, जैसे राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, को सहायता प्रदान करता है. यह संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने में भी मदद करता है, जिनमें एसडीजी 3 (उत्तम स्वास्थ्य और कल्याण), एसडीजी 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता), एसडीजी 11 (स्थायी शहर और समुदाय), और एसडीजी 13 (जलवायु कार्रवाई) शामिल हैं.

आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर मोहित पी. मोहंती ने कहा, "बाढ़ से सिर्फ इमारतों को ही नुकसान नहीं पहुंचता; इससे स्वास्थ्य संबंधी संकट भी पैदा हो सकता है. हाईइको हमें यह देखने की शक्ति देता है कि खतरा सबसे ज्यादा कहां होगा, ताकि बहुत देर होने से पहले ही कार्रवाई की जा सके."

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने कहा, "यह शोध विज्ञान द्वारा समाज की सेवा का एक आदर्श उदाहरण है. शहरों को बाढ़ के दृश्य और छिपे हुए खतरों के लिए तैयार करने में सहायता प्रदान करके, हाईइको भारत और दुनिया भर में सुरक्षित, स्वस्थ और जलवायु-लचीले समुदायों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है."

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हाईइको को न केवल भारत में बल्कि मुंबई से लेकर मनीला, जकार्ता से लेकर न्यू ऑरलियन्स तक दुनिया भर के बाढ़-प्रवण शहरों में उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है, जो बाढ़ के बाद जलजनित बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए एक उन्नत, विज्ञान-आधारित समाधान प्रदान करता है.

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