AICTE का बजट 61% घटा, छात्रों की स्कॉलरशिप पर भी गिरी गाज : शिक्षा राज्य मंत्री

आज राज्यसभा में शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने बताया कि सरकार ने दो वर्षों में AICTE को मिलने वाले अनुदान में 61% की कटौती की जिसका असर छात्रों की छात्रवृत्ति पर भी पड़ा.

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13 करोड़ रुपये से घटकर 2023-24 में 284.32 करोड़ रुपये रह गया, जो एक साल में लगभग 18 प्रतिशत की गिरावट है.

नई दिल्ली : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) को मिलने वाले सरकारी अनुदान में पिछले दो वर्षों में भारी गिरावट आई है, जबकि केंद्र सरकार उच्च शिक्षा के लिए कई नई बड़ी योजनाओं की घोषणा कर रही है. यह बात शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा. सुकांत मजूमदार ने राज्यसभा में बताया कि AICTE को मिलने वाला अनुदान 2022-23 में 420 करोड़ रुपये से घटकर 2024-25 में केवल 137.5 करोड़ रुपये रह गया है, जो दो वर्षों में लगभग 61 प्रतिशत की भारी कटौती को दर्शाता है.

इससे छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति पर भी असर पड़ा है. छात्रवृत्ति पर व्यय 2021-22 में 387.13 करोड़ रुपये से घटकर 2023-24 में 284.32 करोड़ रुपये रह गया, जो एक साल में लगभग 18 प्रतिशत की गिरावट है. हालांकि 2024-25 में इसमें मामूली सुधार हुआ है और यह 309.47 करोड़ रुपये हो गया है, लेकिन आवंटन पहले के स्तर से कम बना हुआ है.

सांसद डॉ. एम. थंबीदुरई द्वारा एक संसदीय प्रश्न के उत्तर में उपलब्ध कराए गए ये आंकड़े छात्रों और तकनीकी संस्थानों के लिए प्रत्यक्ष समर्थन में कमी पर चिंता जताते हैं, जबकि सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप बड़े पैमाने पर शैक्षिक सुधारों को आगे बढ़ा रही है.

इनमें अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) और 2025 से 2027 के बीच 6,300 से अधिक संस्थानों को पत्रिकाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट वाली वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (ओएनओएस) योजना शामिल है.

मंत्री ने 2017 में शुरू की गई 'वर्ल्ड क्लास इंस्टीट्यूशन स्कीम' का भी उल्लेख किया, जिसके तहत अब तक 12 विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ट संस्थान (आईओई) घोषित किया जा चुका है. इनमें सार्वजनिक श्रेणी में आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास, आईआईटी खड़गपुर, आईआईएससी बेंगलुरु, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय के साथ-साथ बिट्स पिलानी, मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी और शिव नादर विश्वविद्यालय जैसे निजी विश्वविद्यालय शामिल हैं. इस योजना के तहत सार्वजनिक संस्थानों को लगभग 6,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

तकनीकी शिक्षा में शासन, गुणवत्ता और समानता में सुधार के लिए 2025-26 और 2029-30 के बीच 175 इंजीनियरिंग कॉलेजों और 100 पॉलिटेक्निक को कवर करते हुए 275 तकनीकी संस्थानों में 4,200 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय वाली एक नई मेरिट योजना लागू की जाएगी.

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सरकार ने 2027-28 तक 990 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ स्वास्थ्य, टिकाऊ शहरों और कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में उत्कृष्टता केंद्रों को भी मंजूरी दी है. बजट 2025-26 में शिक्षा के लिए 500 करोड़ रुपये के एआई केंद्र की भी घोषणा की गई है.

2014 से अब तक, सरकार ने 16 भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT), 8 भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), 8 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 7 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), 2 भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) और 1 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) की स्थापना की है.

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यद्यपि संस्थानों का विस्तार और नई योजनाओं की शुरुआत वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है, वहीं AICTE के वित्तपोषण और छात्रवृत्ति में कटौती से छात्र-स्तरीय समर्थन और तकनीकी कॉलेजों के जमीनी स्तर पर कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा है.

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