पहले वेतन आयोग में कितनी बढ़ी थी सैलरी? इस चीज पर दिया गया था जोर

First Pay Commission: पहला वेतन आयोग आजादी के समय आया था. उस समय सैलरी बढ़ाने को लेकर कीन-कीन बातों का ध्यान दिया गया था.

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नई दिल्ली:

First Pay Commission: 8वें वेतन आयोग को केबिनेट में मिली मंजूरी के बाद कर्मचारियों में सैलरी बढ़ोतरी को लेकर जानने की उत्सुक्ता बढ़ चुकी है. हालांकि सैलरी कितनी बढ़ेगी इसकी ऑफिशियल घोषणा तो नहीं की गई है. लेकिन पिछले कुछ वेतन आयोगों में लागू चीजों को देखकर एक अनुमान लगाया जा सकता है. ऐसे में हम अगर बात करें पहले वेतन आयोग की तो उस समय सैलरी को लेकर क्या-क्या जरूरी बातें ध्यान में रखी गई थी. चलिए जानते हैं जिससे 8वें वेतन आयोग को लेकर अंदाजा लगाया जा सकता है.

पहले वेतन आयोग (1946-47) में लागू किया गया था

पहले वेतन आयोग में 'जीवन यापन के लिए वेतन' पर जोर दिया गया है. भारत में पहले केंद्रीय वेतन आयोग का गठन जनवरी 1946 में किया गया था.इसका मुख्य उद्देश्य आजादी से पहले के वेतन ढांचे को तर्कसंगत बनाना और सरकारी कर्मचारियों के लिए सही काम के लिए पैसे देना सुनिश्चित करना था.

पहले वेतन आयोग में कितनी बढ़ी थी सैलरी?

पहले वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम ₹55 प्रति माह और अधिकतम वेतन 2,000 प्रति माह तय की थी.आयोग ने चतुर्थ श्रेणी (Class IV) के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मूल वेतन (Basic Pay) ₹30 तय किया था, जिसे महंगाई भत्ता (Dearness Allowance - DA) 25 रु मिलाकर 55 हर महीने कर दिया गया था.

उस समय के वेतन ढांचे को देखते हुए, यह एक अहम कदम था, जिसने निम्न आय वर्ग के कर्मचारियों को आर्थिक राहत देना था. अनुमानित रूप से इस आयोग का लाभ लगभग 15 लाख कर्मचारियों को मिला था. इस आयोग में न्यूनतम और अधिकतम वेतन के बीच का अनुपात 1:41 था, जो उस समय के समाज में असमानता के स्तर को भी दर्शाता था.

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