CBSE New Rule For Mathematics Students: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से 10वीं कक्षा में बेसिक मैथमेटिक्स (241) पढ़ने वाले छात्रों को 11वीं कक्षा में स्टैंडर्ड मैथमेटिक्स (041) चुनने की अनुमति दी है. इस बदलाव ने उन छात्रों के लिए नए अवसर खोले हैं जो पहले केवल एप्लाइड मैथमेटिक्स तक सीमित थे. हालांकि इसके लिए सीबीएसई ने कुछ शर्तें भी रखी हैं.
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सीबीएसई का नया नियम
सीबीएसई की 27 मई 2025 को जारी आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, यह निर्णय पिछले नियम को बदलता है, जिसमें केवल स्टैंडर्ड मैथमेटिक्स (041) पढ़ने वाले छात्र ही इसे 11वीं और 12वीं कक्षा में जारी रख सकते थे. अब, स्कूलों के प्रमुखों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बेसिक मैथमेटिक्स से स्टैंडर्ड मैथमेटिक्स में स्विच करने वाले छात्रों में विषय की जटिलता को संभालने की योग्यता और शैक्षणिक तैयारी हो. स्कूलों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे इस बदलाव की जानकारी पैरेंट्स और छात्रों तक पहुंचाएं ताकि वे लिस्ट ऑफ कैंडिडेट्स (LoC) को भरते समय सूचित निर्णय ले सकें. एक बार एलओसी में विषयों का चयन हो जाने के बाद, कोई बदलाव संभव नहीं होगा.
महामारी के दौरान शुरू हुआ था यह नियम
यह नियम महामारी के दौरान शुरू की गई, जिसमें बेसिक मैथमेटिक्स के छात्रों को हायर क्लास में स्टैंडर्ड मैथमेटिक्स (041) चुनने की अनुमति दी गई थी. सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि यह व्यवस्था तब तक लागू रहेगी, जब तक राष्ट्रीय शैक्षिक पाठ्यचर्या ढांचे (एनसीएफ-एसई) के तहत नई अध्ययन योजना लागू नहीं हो जाती. तब तक 10 जनवरी 2019 को जारी पूर्ववर्ती परिपत्र के अन्य प्रावधान लागू रहेंगे.
ड्यूल लेवल की मैथमेटिक्स सिस्टम
सीबीएसई ने 2019-20 शैक्षणिक सत्र में ड्यूल लेवल की मैथमेटिक्स सिस्टम शुरू की थी, ताकि छात्र अपनी रुचि और भविष्य की शैक्षणिक योजनाओं के आधार पर विषय चुन सकें. स्टैंडर्ड मैथमेटिक्स उन छात्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो उच्च शिक्षा में गणित को जारी रखना चाहते हैं, जबकि बेसिक मैथमेटिक्स उन लोगों के लिए है जो 10वीं कक्षा के बाद इस विषय को छोड़ना चाहते हैं. यह सिस्टम छात्रों को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप लचीलापन देती है.
छात्रों और स्कूलों के लिए इसका महत्व
यह नया नियम उन छात्रों के लिए एक बड़ा अवसर है जो 10वीं कक्षा में बेसिक मैथमेटिक्स चुनने के बाद भी साइंस, इंजीनियरिंग या मैथमेटिक्स से संबंधित क्षेत्रों में करियर बनाना चाहते हैं. स्कूलों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास ऐसे छात्रों का मूल्यांकन करने के लिए उचित सिस्टम हो, ताकि वे स्टैंडर्ड मैथमेटिक्स की चुनौतियों का सामना कर सकें. यह बदलाव न केवल छात्रों को अपनी शैक्षणिक यात्रा को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने का मौका देता है, बल्कि शिक्षा सिस्टम को और समावेशी बनाता है. यह उन छात्रों को प्रोत्साहित करेगा जो पहले अपनी क्षमताओं को लेकर संशय में थे.
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इस नियम के फायदे
सीबीएसई का यह निर्णय छात्रों को उनकी रुचि और क्षमता के आधार पर विषय चुनने की स्वतंत्रता देता है. यह कदम न केवल शिक्षा में लचीलापन लाता है, बल्कि छात्रों को उनके भविष्य के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद करता है. स्कूलों और अभिभावकों को इस बदलाव का स्वागत करना चाहिए और छात्रों को सही मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए ताकि वे अपने शैक्षणिक और व्यावसायिक सपनों को साकार कर सकें.