सीखने की कोई उम्र नहीं होती... 71 साल के दादा जी ने पोती के साथ पढ़ाई कर पास की CA की परीक्षा

ताराचंद अग्रवाल, जिन्होंने 71 साल की उम्र में CA Final का एग्ज़ाम क्रैक कर दिया है. दादा और पोती की ये जोड़ी साथ में पढ़ती थी, एक दूसरे की मदद करती थी.

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नई दिल्ली:

71 साल की उम्र में लोग क्या करते हैं? ज़्यादातर लोग आराम करते हैं, अपने नाती-पोतों के साथ खेलते हैं, या फिर तीर्थ यात्रा पर निकल जाते हैं. लेकिन क्या आपने सुना है कि कोई 71 साल की उम्र में देश के सबसे मुश्किल एग्ज़ाम्स में से एक को पास कर ले? जी हां! आज मैं आपको मिलवाने जा रहा हूं जयपुर के एक ऐसे 'रॉकस्टार दादाजी' से, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद वो कर दिखाया है, जिसके बारे में नौजवान भी सोचने से डरते हैं. ये हैं ताराचंद अग्रवाल, जिन्होंने 71 साल की उम्र में CA Final का एग्ज़ाम क्रैक कर दिया है! लेकिन ये कहानी सिर्फ़ एक एग्ज़ाम पास करने की नहीं है. ये कहानी है गहरे दुख से लड़कर बाहर निकलने की, ये कहानी है हिम्मत और जज़्बे की, और ये कहानी इस बात का सबूत है कि सीखने और सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती. 

जिंदगी के सफर में हमसफर से हुए जुदा

ताराचंद जी एक रिटायर्ड बैंकर हैं. 38 साल की शानदार सर्विस के बाद 2014 में वो असिस्टेंट जनरल मैनेजर की पोस्ट से रिटायर हुए. ज़िन्दगी अच्छी चल रही थी. लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के दौरान उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. उनकी पत्नी, दर्शना, जो 40 साल से ज़्यादा उनकी हमसफ़र थीं, उनका निधन हो गया. सोचिए ज़रा, जिस इंसान के साथ आपने इतना लंबा जीवन बिताया, वो अचानक चला जाए. ताराचंद जी पूरी तरह टूट गए, गहरे डिप्रेशन में चले गए. ऐसे में उन्हें सहारा मिला... आध्यात्म का. उन्होंने भगवद् गीता पढ़नी शुरू की और वहीं से उनकी ज़िन्दगी में एक बड़ा टर्निंग पॉइंट आया. गीता ने उन्हें समझाया कि जीवन एक युद्ध है, महाभारत की तरह. आप इससे भाग नहीं सकते, आपको लड़ना ही होगा. और बस! इसी सोच के साथ उन्होंने अपनी ज़िन्दगी को एक नया मकसद देने का फैसला किया. उनके बेटे, जो खुद एक CA और टैक्स कंसलटेंट हैं, और उनकी पोती ने उन्हें मज़ाक में कहा, "दादाजी, आप CA क्यों नहीं कर लेते?"

बिना कोचिंग के पास की परीक्षा

और दादाजी ने इस चैलेंज को सीरियसली ले लिया! जुलाई 2021 में उन्होंने CA कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया. और फिर शुरू हुई एक स्टूडेंट वाली अनुशासित ज़िन्दगी. सुबह जल्दी उठना, योग-प्राणायाम, और फिर रोज़ 10 से 12 घंटे की पढ़ाई! जिसमें से 4 घंटे तो सिर्फ़ लिखने की प्रैक्टिस के लिए थे. और सबसे हैरान करने वाली बात? उन्होंने कोई भी कोचिंग क्लास जॉइन नहीं की. उनका कहना था कि ICAI का स्टडी मटेरियल ही काफी है. लेकिन कहानी में एक और ट्विस्ट है. जब वो फ़ाइनल एग्ज़ाम की तैयारी कर रहे थे, तो उनके दोनों कंधों में 'फ्रोजन शोल्डर' की प्रॉब्लम हो गई. हाथ उठाना और लिखना लगभग नामुमकिन हो गया था. शरीर जवाब दे रहा था, लेकिन हिम्मत... हिम्मत तो आसमान छू रही थी. इस सफ़र में वो अकेले नहीं थे. उनकी पोती अंकिता, जो खुद CA की तैयारी कर रही थी, उनकी स्टडी पार्टनर बनी. 

दादा-पोती साथ में करते थे पढ़ाई

दादा और पोती की ये जोड़ी साथ में पढ़ती थी, एक दूसरे की मदद करती थी. और आख़िरकार, उनकी मेहनत रंग लाई. मई 2025 के एग्ज़ाम्स उन्होंने पास कर लिए और बन गए 71 साल के नौजवान चार्टर्ड अकाउंटेंट! जैसे ही रिजल्ट आया, उनकी तस्वीर वायरल हो गई. हर कोई कह रहा था - "वाह! दादाजी हो तो ऐसा!" ताराचंद जी की ये कहानी उन सब लोगों के लिए एक जवाब है जो सोचते हैं कि रिटायरमेंट के बाद ज़िन्दगी ख़त्म हो जाती है, या किसी अपने को खोने के बाद इंसान टूट जाता है. ताराचंद जी कहते हैं - "कभी भी बहुत देर नहीं होती. आप किसी भी उम्र में सपने देख सकते हैं, सीख सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं." आज भी वो कहते हैं कि अगर घर के बच्चे उन्हें कुछ नया करने को कहेंगे, तो वो ज़रूर ट्राई करेंगे. 

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