Super 30: NDTV पर जाने-माने भारतीय गणितज्ञ और शिक्षाविद आनंद कुमार का बहुप्रीतिक्षत शो 'The आनंद कुमार Show' शुरू हो गया है. मंगलवार रात 8.30 बजे शो लॉन्च कर दिया गया है. आनंद कुमार ने शो की लॉन्चिंग पर सुपर 30 की स्थापना से लेकर, बच्चों के डिप्रेशन से निकलर सफलता के झंडे गाड़ने से लेकर उन तमाम मुद्दों पर बातें कि जिससे आज हर माता-पिता चिंतित है. आनंद कुमार ने कोटा में पढ़ाई के प्रेशन को झेल नहीं पाने के कारण बच्चों के खुदकुशी, डिप्रेशन पर भी बातें की. 'द आनंद कुमार शो' के पहले दिन एक छात्र हंजला शफी से मिलाया जिसने डिप्रेशन के घोर अंधकार से निकलकर उजाले का हाथ थामा था. शो के दौरान सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने छात्र-छात्राओं के कई सवालों के जवाब दिए और उनके मन के उलझनों को भी सुलझाया. कहावते और कहानी से बच्चों को इंस्पायर करने के साथ उन्हें 'आनंद मंत्र' भी दिया.
The Anand Kumar Show : पढ़ाई का तनाव और उम्मीदों का दबाव.. जानें डिप्रेशन से निकले छात्र की कहानी
सवाल- कई बार बच्चों के मन में सवाल होते हैं, उनके डाउट् होते हैं, लेकिन वे पूरी क्लास में अपनी सवाल नहीं पूछ पाते, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके दोस्त उन्हें जज करेंगे, उनकी क्लास में हंसी हो जाएगी क्योंकि बाकी क्लास को यह कॉन्सेप्ट आता होगा. ऐसे में बच्चे को क्या करना चाहिए, आप सजेंशन देंगे?
The Anand Kumar Show एपिसोड-1: डिप्रेशन के अंधेरों से निकलकर उजाले की ओर ले जाती आनंद सर की बातें
आनंद सर का जवाब- ऐसे बच्चों को हिम्मत रखनी चाहिए. उन्हें सोचना चाहिए कि हर बड़े काम की शुरुआत बहुत छोटे स्तर से होती है. ऐसे में किसी सवाल का जवाब पता नहीं होना कोई गलती नहीं है, गलती तब कही जाएगी जब आप उसका जवाब नहीं ढंढते हैं. गलती ये है कि जानकारी के अभाव में घुटन महसूस करना. ऐसे में छात्र की गलती कही जाएगी वह बिना किसी से उस सवाल का जवाब जाने अंधेरे रास्तों की ओर बढ़ते जाता है. पूछना, बोलना, अपना जो लेवल है, उसे लोगों के सामने बताना चाहिए. इसमें कभी भी संकोच नहीं करना चाहिए. बिहार में एक कहावत है, 'जिस पर लोग हंसते हैं, उसी के घर बसते हैं'. लोगों को हंसने दीजिए, आज वह आप पर हंसेंगी, कल यही दुनिया आपको सलाम करेगी. इसलिए मन में जो सवाल है, उसे जरूर पूछिए. सवाल पूछना आपका अधिकार है.
सवाल- आजकल बच्चे काफी मेंटल प्रेशर में है. इसका रीजन कम्पटीशन, प्रेशर के साथ बहुत से दूसरे कारण होते हैं. इस मेंटल प्रेशर को हैंडल करने के लिए एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन क्या स्टेप ले सकते हैं, क्या कर सकते हैं?
आनंद सर का जवाब- यह सच है आज बच्चों पर कई तरह के प्रेशर है, पढ़ाई का दबाव, उम्मीदों का दबाव, कुछ अच्छा करने का दबाव. ऐसी स्थिति में बच्चे को प्रेशर नहीं महसूस करना चाहिए. उसे अपने आपको को देखना चाहिए. उसे किसी दूसरे से कम्पटीशन करने के बजाए यह सोचना चाहिए कि मैं कल कहां था और आज कहां हूं. अपने में इंप्रूवमेंट के बारे में सोचना चाहिए, कि मैं अपने में इंप्रूवमेंट कैसे कर सकता हूं. अपने को विकसित करने के लिए काम कीजिए, दूसरों को देख कर कभी प्रभावित मत होईए.