Teachers' Day 2024: आज है शिक्षक दिवस, भारत रत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस, जानिए उनके जीवन की कुछ रोचक बातें 

Teachers' Day 2024: भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. शिक्षा की अलख जगाने वाले भारत रत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षकों के प्रयासों को समर्पित है. देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाले राधाकृष्णन ने अथक प्रयास किया.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
Teachers' Day 2024: आज है शिक्षक दिवस, भारत रत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस
नई दिल्ली:

Teachers' Day 2024: भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. शिक्षा की अलख जगाने वाले भारत रत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षकों के प्रयासों को समर्पित है. देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाले राधाकृष्णन ने अथक प्रयास किया. तमाम परेशानियां झेलीं, घर खर्च चलाने के लिए होम ट्यूशन दिया पर शिक्षा के प्रति ईमानदारी कभी नहीं छोड़ी. अपने प्रोफेशन से उन्हें गहरा लगाव था. शिक्षकों की स्थिति का भान उन्हें भलीभांति था यही वजह है कि अपना जन्मदिवस भी शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की सलाह दी. दरअसल, एक बार कुछ छात्र भारत के पहले उप राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन से मिलने पहुंचे थे. छात्रों ने उनसे कहा था, सर हम आपका जन्मदिन मनाना चाहते हैं. इस पर सर्वपल्ली राधाकृष्णन कुछ देर शांत रहें, छात्र उनकी तरफ लगातार देख रहे थे. उन्होंने छात्रों से कहा, 'मुझे खुशी होगी, अगर मेरे जन्मदिन की जगह शिक्षक दिवस मनाया जाए'.

CBSE Board Exam 2025: सीबीएसई ने आगामी परीक्षा पैटर्न में किया बदलाव! कॉन्सेप्ट बेस्ड प्रश्नों की संख्या 50% बढ़ाई

शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा

वह खुद एक शिक्षक थे, और चाहते थे कि शिक्षकों का सम्मान हो. इस तरह, 5 सितंबर को उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई. कहा जाता है की साल 1962 से 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाने की प्रथा शुरू हुई जो आज भी जारी है.

डॉ. राधाकृष्णन का जन्म

डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी गांव में हुआ था. वह बेहद ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे. लेकिन, उनकी शिक्षा और पढ़ाने के तरीकों ने उन्हें छात्रों के बीच काफी मशहूर कर दिया. राधाकृष्णन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव से की. इसके बाद उन्होंने स्नातक डिग्री हासिल की. अपने जीवन का अधिकांश समय शिक्षा और दार्शनिक विचारों को समर्पित किया.

Advertisement

घर-घर जाकर ट्यूशन दिया

फिलॉसफी में परास्नातक की पढ़ाई पूरी की. खास बात यह रही कि उन्हें स्नातक और परास्नातक में पहला स्थान मिला. इस दौरान, उन्हें कॉलेज में पढ़ाने की नौकरी मिल गई. छात्रों को पढ़ाने में उन्हें भी काफी रुचि मिल रही थी. हालांकि, एक सामान्य परिवार से आने वाले राधाकृष्णन के लिए घर का खर्च चलाना चुनौती बना. चूंकि, उनका परिवार बड़ा था और पिता रिटायर हो चुके थे. कॉलेज की नौकरी से मिलने वाले पैसे घर खर्च के लिए पर्याप्त नहीं थे. घर की जिम्मेदारी राधाकृष्णन के कंधों पर थी. हालांकि, राधाकृष्णन ने इस चुनौती से लड़ने के लिए तब घर-घर जाकर ट्यूशन देने लगे. ट्यूशन से मिलने वाली फीस से परिवार का घर खर्च चलने लगा.

Advertisement

AYUSH नीट यूजी काउंसलिंग राउंड 1 रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख आज, चॉइस लॉक करने का मौका रात 11:55 बजे तक

स्वामी विवेकानंद के विचारों ने प्रभावित

राधाकृष्णन के जीवन को स्वामी विवेकानंद के विचारों ने काफी प्रभावित किया. राधाकृष्णन उन्हें अपना प्रेरणा स्त्रोत भी मानते थे. उन्होंने प्रोफेसर के तौर पर मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय के तौर पर लंबे समय तक छात्रों को पढ़ाया. शिक्षक होने के अलावा वह एक अच्छे लेखक भी थे. उन्होंने 'इंडियन फिलॉसफी', 'भगवद गीता' और 'द हिंदू व्यू ऑफ लाइफ' नामक पुस्तकें भी लिखी थी. 

Advertisement

भारत के पहले उप राष्ट्रपति

भारत जब आजाद हुआ तो वह साल 1952 में भारत के पहले उप राष्ट्रपति बने. साल 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया. इसके बाद साल 1962 में वह भारत में दूसरे राष्ट्रपति बने. उनके कार्यकाल में शिक्षा और संस्कृति पर विशेष ध्यान दिया गया. उन्होंने अपने छात्रों को शिक्षा के अलावा जीवन मूल्यों की शिक्षा भी दी. समाज के लिए उन्होंने शिक्षा को अहम माना. और शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. 

Advertisement

CBSE Board Exam 2025: सीबीएसई ने आगामी परीक्षा पैटर्न में किया बदलाव! कॉन्सेप्ट बेस्ड प्रश्नों की संख्या 50% बढ़ाई

वीणा बजाने में कुशल थे

अपने जीवन में वह हमेशा सरल स्वभाव के रहे, एक खास बात यह है जो कम लोग जानते हैं उन्हें संगीत से भी काफी लगाव था. वे वीणा बजाने में कुशल थे. उन्होंने अपने जीवन में संगीत को एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना. डॉ. राधाकृष्णन को अपने जीवन में पढ़ना और पढ़ाना काफी पसंद था. उन्हें भारतीय संस्कृति और परंपराओं से बेहद लगाव था. उन्हें भारतीय तीर्थ स्थलों पर यात्रा करना पसंद था.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Maharashtra Election 2024: Maratha Vote किसके साथ? | Manoj Jarange | NDTV Election Cafe
Topics mentioned in this article