उच्च शिक्षण संस्थानों में वार्षिक परीक्षा प्रणाली के बजाय सेमेस्टर पद्धति अपनाई जाए : यूजीसी अध्यक्ष

एम. जगदीश कुमार ने कहा कि पिछले चार साल में कई विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में बदलाव देखे गए हैं और यूजीसी वर्ष 2035 तक देश के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को बढ़ाकर 50 फीसद के स्तर पर पहुंचाने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है.

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इंदौर (मध्यप्रदेश):

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने सोमवार को कहा कि विद्यार्थियों के बेहतर मूल्यांकन और उनके सीखने की प्रक्रिया में सुधार के लिए देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों को वार्षिक परीक्षा प्रणाली के बजाय सेमेस्टर पद्धति अपनानी चाहिए.

कुमार ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा,‘‘हम चाहते हैं कि उच्च शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों का सतत मूल्यांकन किया जाए. अगर आप साल भर में बस एक बार परीक्षा आयोजित करते हैं, तो इससे विद्यार्थियों को उनकी सीखने की प्रक्रिया में सुधार का संदेश नहीं मिल पाता. इसलिए सेमेस्टर प्रणाली को वैश्विक स्तर पर अपनाया गया है.'

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए देश के उन सभी विश्वविद्यालयों को सेमेस्टर पद्धति अपनानी चाहिए जहां अब भी केवल वार्षिक परीक्षा प्रणाली के आधार पर छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन किया जा रहा है.

कुमार ने कहा कि सेमेस्टर के बीच में परीक्षा, अलग-अलग अभ्यासों, परिचर्चाओं में भागीदारी और गृह कार्य के आधार पर भी विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए.

यूजीसी अध्यक्ष ने ‘‘एक राष्ट्र, एक सदस्यता' (वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन) योजना का स्वागत करते हुए कहा कि कम से कम 6,300 महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को इस योजना का फायदा मिलेगा जिससे उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध का ढांचा मजबूत होगा.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विद्वानों के शोध लेखों और जर्नल प्रकाशनों तक देशव्यापी पहुंच प्रदान करने के लिए,‘‘एक राष्ट्र, एक सदस्यता' (वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन) योजना को हाल ही में मंजूरी दी है। इसके तहत तीन कैलेंडर वर्षों-2025, 2026 और 2027 के लिए कुल 6,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है.

यूजीसी अध्यक्ष कुमार, स्वायत्तशासी महाविद्यालयों के क्षेत्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने इंदौर आए थे. 'नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन' विषय पर केंद्रित यह सम्मेलन यूजीसी और इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने मिलकर आयोजित किया था.

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यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति से देश में संविधान की मूल भावना के मुताबिक सामाजिक न्याय, समानता और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा.

उच्च शिक्षण संस्थानों में स्वायत्तता बढ़ाने पर जोर देते हुए कुमार ने कहा,‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 आने के बाद से हम कह रहे हैं कि हम हर छोटी-छोटी चीज नहीं देखेंगे. हम आपको (उच्च शिक्षण संस्थानों) को एक मोटा-मोटा ढांचा दे रहे हैं ताकि इसके भीतर प्रयोग और नवाचार करके उच्च शिक्षा प्रणाली में बदलाव किए जा सकें.'

कुमार ने कहा कि पिछले चार साल में कई विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में बदलाव देखे गए हैं और यूजीसी वर्ष 2035 तक देश के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को बढ़ाकर 50 फीसद के स्तर पर पहुंचाने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है.

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देश के कुछ राज्यों द्वारा कथित राजनीतिक कारणों से नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अब तक नहीं अपनाने के बारे में पूछे जाने पर यूजीसी अध्यक्ष ने कहा,''मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वे (कुछ राज्य) नयी राष्ट्रीय नीति लागू नहीं कर रहे हैं. वे इसे लागू करने में पिछड़ रहे हैं, लेकिन हम उनके साथ भी काम कर रहे हैं। हम उन्हें नयी राष्ट्रीय नीति लागू करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.''
 

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