साइंटिस्टों ने ढूंढ निकाला 8वां 'महाद्वीप', 94 प्रतिशत हिस्सा पानी के भीतर, 375 साल से था मिसिंग

वैज्ञानिकों ने सालों से मिसिंग एक महाद्वीप को अब ढूंढ निकाला है. लगभग 375 वर्षों के बाद, भूवैज्ञानिकों ने एक ऐसे महाद्वीप की खोज की है जो छिपा हुआ था. जीलैंडिया 1.89 मिलियन वर्ग मील का एक विशाल महाद्वीप है.

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साइंटिस्टों ने ढूंढ निकाला 8वां 'महाद्वीप
नई दिल्ली:

8th Continent: वैज्ञानिकों ने सालों से मिसिंग एक महाद्वीप को अब ढूंढ निकाला है. लगभग 375 वर्षों के बाद, भूवैज्ञानिकों ने एक ऐसे महाद्वीप की खोज की है जो छिपा हुआ था. Phys.org की रिपोर्ट के अनुसार, भूवैज्ञानिकों और भूकंप विज्ञानियों की एक छोटी टीम ने जीलैंडिया ( Zealandia) या ते रिउ-ए-माउई का नया मैप बनाया है. शोधकर्ताओं ने समुद्र तल से बरामद चट्टान के नमूनों से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग करके जीलैंडिया महाद्वीप को पाया है. यह शोध टेक्टोनिक्स जर्नल में प्रकाशित किया गया है. बता दें कि ज़ीलैंडिया मूल रूप से गोंडवाना के प्राचीन महाद्वीप का हिस्सा था, जो लगभग 550 मिलियन वर्ष पहले बना था.

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बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीलैंडिया 1.89 मिलियन वर्ग मील (4.9 मिलियन वर्ग किमी) का एक विशाल महाद्वीप है, यह मेडागास्कर से लगभग छह गुना बड़ा है. वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि वास्तव में 8 महाद्वीप हैं. इस महाद्वीप ने दुनिया में सबसे छोटे, सबसे पतले और सबसे युवा होने के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.

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यह नया महाद्वीप 94 प्रतिशत पानी के भीतर है, जिसमें न्यूजीलैंड के समान ही कुछ मुट्ठी भर द्वीप हैं. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, न्यूज़ीलैंड क्राउन रिसर्च इंस्टीट्यूट जीएनएस साइंस के भूविज्ञानी एंडी टुलोच, जो ज़ीलैंडिया की खोज करने वाली टीम का हिस्सा थे. वे कहते हैं, "यह इस बात का उदाहरण है कि कभी किसी स्पष्ट चीज़ को भी उजागर करने में समय लग सकता है."

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वैज्ञानिकों का कहना है कि जीलैंडिया का अध्ययन करना हमेशा से कठिन रहा है. वैज्ञानिक अब समुद्र तल से लाए गए चट्टानों और तलछट के नमूनों के संग्रह का इसका अध्ययन कर रहे हैं. Phys.org ने बताया कि चट्टान के नमूनों के अध्ययन से पश्चिम अंटार्कटिका में भूगर्भिक पैटर्न का पता चला है, जो न्यूजीलैंड के पश्चिमी तट से दूर कैंपबेल पठार के पास एक सबडक्शन जोन की संभावना का संकेत देता है. नया नक्शा न केवल ज़ीलैंडिया महाद्वीप के मैग्मैटिक आर्क एक्सिस का स्थान बताता है बल्कि अन्य प्रमुख भूवैज्ञानिक विशेषताओं को भी उजागर करता है. 

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