Jallianwala Bagh Massacre: आज से 103 साल पहले पंजाब के अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था. इस हत्याकांड में सैकड़ों बेकसूरों को गोलियों से भून दिया गया था, जिसमें पुरुष, महिलाओं के साथ मासूम बच्चे भी शामिल थे. इस दिन को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका अद्वितीय साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा. इस मौके पर उन्होंने पिछले साल उद्घाटन किए गए जलियांवाला बाग स्मारक परिसर का एक वीडियो भी साझा किया. उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल, 1919 के वे 10 मिनट हमारे स्वतंत्रता संग्राम की अमर कहानी बने, जिसके कारण आज हम स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना पा रहे हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेताओं ने भी नरसंहार को "विदेशी शासन की क्रूरता और क्रूर अत्याचारों का प्रतीक" के रूप में याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.
ब्रिटिश गवर्नमेंट रिकॉर्ड की मानें तो इस हत्याकांड में 379 लोग मारे गए थे, जबकि 1,200 लोग घायल हुए थे. 13 अप्रैल को बैसाबी का त्योहार मनाने के लिए जलियांवाला बाग में पुरुष, महिलाएं और बच्चे इकट्ठा थे, जिनपर क्रूर कर्नल रेजिनाल्ड डायर ने अंधाधुंध गोलियां चलाने का आदेश दिया था.
What happened on April 13, 1919: जानिए क्या हुआ इस काले दिन
1.अंग्रेजों ने सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाते हुए एक कठोर मार्शल लॉ लागू किया था. इस दिन बैसाखी के मौके पर पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थे प्रदर्शनकारियों और तीर्थयात्रियों की भीड़ जमा थी.
2.स्वतंत्रता सेनानियों सत्य पाल और डॉ सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए भीड़ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए कार्यक्रम स्थल पर इकट्ठा हुई थी.
3.कर्नल डायर को जब सभा के बारे में पता चला, तो वह लगभग 50 सैनिकों के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा और उसने निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया.
4.करीब 10 मिनट तक कर्नल डायर के सैनिकों ने फायरिंग की और करीब 1,650 राउंड गोलियां चलाईं.
5.ब्रिटिश सरकार के अनुसार जलियांवाला बाग हत्याकांड में 379 लोग मारे गए थे और 1,200 घायल हुए थे. वहीं कुछ रिकॉर्ड कहते हैं कि इस हत्याकांड में लगभग एक हजार लोग मारे गए थे.
6.इस नरसंहार ने भारतीयों को नाराज कर दिया और महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का आह्वान किया.