डीयू को शताब्दी चांस परीक्षा के लिए मिले 12500 आवेदन, ड्रॉप आउट स्टूडेंट पूरी कर सकेंगे पढ़ाई 

दिल्ली विश्वविद्यालय को "शताब्दी" चांस परीक्षा के लिए 12,500 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं. इसके जरिए डीयू के पूर्व ड्रॉप आउट छात्रों को दोबारा पढ़ाई पूरी करने का मौका मिलेगा.

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नई दिल्ली:

Delhi University Updates: दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) को "शताब्दी" चांस परीक्षा ("centenary" chance examination) के लिए 12,500 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं. विश्वविद्यालय के अधिकारी ने इसकी जानकारी दी. "शताब्दी" चांस परीक्षा पूर्व ड्रॉप आउट छात्रों को दोबारा पढ़ाई पूरी करने के लिए डीयू की तरफ से दिया जाने वाला एक मौका है. साल भर चलने वाले इस शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान पूर्व ड्रॉप आउट छात्र परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं और अपने संबंधित डिग्री पाठ्यक्रम को पूरा कर सकते हैं. 1 मई से शुरू हुए डीयू के शताब्दी चांस परीक्षा के मद्देनजर ड्रॉप-आउट छात्रों को यह मौका दिया गया है. ये भी पढ़ें ः Punjab Board 10th Result 2022: पंजाब बोर्ड दसवीं के नतीजे आज हो सकते हैं जारी

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12,677 छात्रों ने पंजीकरण कराया

डीयू के परीक्षा डीन डी एस रावत ने कहा, "शताब्दी मौका परीक्षा के लिए हमें 12,677 पंजीकरण प्राप्त हुए हैं. 30 जून इसके पंजीकरण की अंतिम तिथि थी. फॉर्म भरने वाले 9,331 उम्मीदवारों में से 8,095 ने भुगतान भी किया है." 

मई माह में डीयू ने घोषणा की कि जो लोग अंतिम वर्ष में कॉलेज से बाहर हो गए हैं, वे परीक्षाओं में शामिल होने और अपनी डिग्री पूरी करने के लिए एकमुश्त मौका के लिए पंजीकरण कर सकते हैं. योग्य उम्मीदवार वार्षिक मोड में अधिकतम चार पेपर और सेमेस्टर-वार टेस्ट के लिए आठ पेपर तक उपस्थित हो सकते हैं.

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परीक्षा साल में दो बार

परीक्षा इस साल अक्टूबर के दौरान और अगले साल मार्च में फिजिकल मोड के माध्यम से अस्थायी रूप से आयोजित की जाएगी. विश्वविद्यालय ने कहा, यह सिद्धांत और व्यावहारिक परीक्षा के लिए आयोजित किया जाएगा, न कि आंतरिक मूल्यांकन के लिए. 

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ड्रॉप आउट छात्र पूरी कर सकते हैं डिग्री

मार्च में, कुलपति योगेश सिंह ने घोषणा की कि डीयू के छात्र जो बाहर हो गए हैं उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने और अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिए "शताब्दी" चांस परीक्षा का मौका दिया जाएगा. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह पर चर्चा के लिए 28 जनवरी को आयोजित विशेष कार्यकारी परिषद की बैठक में इसके लिए एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी.

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