दिल्ली में लॉन्च हुआ 'एजुकेशन सांग', शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया बोले- बच्चों को गाना रटवाएं नहीं, जीना सिखाएं

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने आज दिल्ली एजुकेशन सांग लॉन्च किया है. गाने को लॉन्च करते हुए उन्होंने दिल्ली के शिक्षा गीत की शुभकामनाएं दी और कहा कि दिल्ली से पहले किसी ने भी अपना शिक्षा गीत नहीं बनाया है.

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पिछले 5 से 7 साल की जर्नी में दिल्ली के स्कूल को बेहतर बनाया गया है: मनीष सिसोदिया
नई दिल्ली:

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने आज दिल्ली एजुकेशन सांग लॉन्च किया है. गाने को लॉन्च करते हुए उन्होंने दिल्ली के शिक्षा गीत की शुभकामनाएं दी और कहा कि दिल्ली से पहले देश और दुनिया में किसी ने भी अपना शिक्षा गीत नहीं बनाया है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि आलोक श्रीवास्तव ने इस गीत को शब्द दिए हैं. दुनिया का शायद ही कोई ऐसा शिक्षा विभाग होगा जो ये नहीं मानता होगा कि ये तो मेरा भी इरादा था. शान और स्नेहा शंकर ने इस गीत को गाया है. हमने 68 पन्ने की न‌ई एजुकेशन पॉलिसी में जो चीजें करने की कोशिश की वो इस गीत में हैं.

शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि पिछले 5 से 7 साल की जर्नी में दिल्ली के स्कूलों को बेहतर बनाया गया है. गाने में बताया गया है कि हमारा इरादा क्या है, हमारा इरादा फाइव स्टार बिल्डिंग या सुविधाएं देने का या अच्छे नतीजे देने का नहीं है. हमारा इरादा कहीं ऊपर है. इस गीत को हम सरकारी कार्यक्रम में पेश किए गए गीत के रुप में नहीं लेंगे. बल्कि हर रोज छात्र और टीचर्स को सुनना है, हमारा इरादा पढ़ें लिखे लोग खड़े करना है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि अगर जाति का छोटा बड़ा होना हमारे अंदर रह गया तो हमने पढ़ा ही क्या. मैं लड़कों को खास तौर से कहना चाहता हूं कि हमारे घरों में मां बहन और दोस्त होती है. अगर हम भूलकर भी किसी के लिए कुछ ग़लत सोचते हैं. तो पढ़ा ही क्या, देश भर के स्कूलों से निकलने वाले छात्रों को सोचना चाहिए कि अगर ऐसा कुछ किया तो पढ़ा ही क्या.

आप लोग जो सड़कों पर गुंडागर्दी करते वीडियो दिखाई देते हैं इनको देखकर डर लगता है ना, कुछ लोग ये ही करवाना चाहते हैं, अगर कोई हमें मुर्खतापूर्ण बातों पर लड़वा दे तो हम पढ़े लिखे ही क्या? ये गीत हमें यही याद दिलवाएगा. 

मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि शिक्षक इस गाने को दो नंबर देने के लिए रटवाए नहीं. बल्कि इसे जीना सिखाएं. बच्चों को इतनी छूट दे कि वो भी बोल सके अगर शिक्षा मंत्री से लेकर अध्यापक तक अगर कुछ ग़लत करता है या बोलता है तो उसपर सवाल उठा सके.

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