CBSE, ICSE Board Exam 2021: सुप्रीम कोर्ट में आज 31 मई को एक बार फिर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) द्वारा आयोजित कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई. दोनों बोर्डों ने कोरोना महामारी के चलते कक्षा 12वीं की परीक्षा स्थगित कर दी थीं और इस संबंध में आज एक बार फिर सुनवाई की गई, जिसमें केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार अगले कुछ दिनों में 12वीं बोर्ड परीक्षाओं पर अंतिम फैसला लेगी.
CBSE 12वीं बोर्ड परीक्षाओं पर सुनवाई फिलहाल 3 जून तक टल गई है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हमें गुरुवार तक का समय दिया जाए. सरकार अंतिम निर्णय बताएगी.
आज हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप जो भी निर्णय लेना चाहते हैं ले सकते हैं. लेकिन याचिकाकर्ता ने उम्मीद जताई है कि पिछले साल अपनाई गई नीति इस साल भी अपनाई जा सकती है. SC ने कहा कि अगर सरकार पिछले साल के अपने फैसले से हट रही है तो ठोस कारण बताएं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के फैसले के बाद वह इसकी जांच करेगी.
बता दें कि कोरोना के कहर के चलते इस साल कक्षा 10वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं, लेकिन कक्षा 12वीं की परीक्षाओं को सिर्फ स्थगित किया गया है. लेकिन लंबे समय से मांग उठ रही है कि 12वीं की परीक्षाओं को भी रद्द किया जाना चाहिए और इसपर जल्द फैसला लेना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में 12वीं की परीक्षीओं को रद्द करने को लेकर याचिका दाखिल की गई है, जिसपर बीते शुक्रवार को हुई सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट ने उसे टाल दिया था. अब इस मामले में आज एक बार फिर सुनवाई हुई, जिसे एक बार फिर टाल दिया गया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 3 जून को होगी.
बता दें कि सीबीएसई की 12वीं बोर्ड परीक्षाओं को लेकर सरकार को 1 जून तक फैसला लेना था, लेकिन अब अंतिम फैसला लेने में देरी हो जाएगी. परीक्षाओं को लेकर अब तक दो बार बैठक हो चुकी है. परीक्षाएं कब और कैसे होंगी, इस पर मंथन चल रहा है. इसी बीच इन्हें रद्द कर देने की मांग भी उठ रही है.
बता दें कि पिछली बैठक में CBSE ने 15 जुलाई से 26 अगस्त के बीच 12वीं बोर्ड परीक्षा आयोजित कराने और सितंबर में परीक्षा के नतीजे घोषित करने का प्रस्ताव दिया था. चर्चा थी कि परीक्षा की तिथि घोषित करने के बीच कम से कम 15 दिन का अंतराल छात्रों को दिया जाएगा.
ये भी प्रस्ताव रखा गया था कि सिर्फ प्रमुख विषय के लिए ही परीक्षा कराई जाएं या ऑब्जेक्टिव पैटर्न पर हों और समय सीमा घटा दी जाए. 32 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में से 29 परीक्षा को कम अवधि में करने या केंद्र सरकार के निर्णय के साथ हैं.