विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अपने देश के मेडिकल कॉलेजों में इंटर्नशिप नहीं मिल रही है. नियम के मुताबिक बिना इंटर्नशिप के विदेश से डॉक्टरी की डिग्री ले चुके छात्रों को देश में ना तो रजिस्ट्रेशन नंबर मिल सकता है ना ही वे यहां पर बतौर डॉक्टर प्रैक्टिस कर सकते हैं. ऐसे में विदेश से आए छात्रों का भविष्य अंधेर में नजर आ रहा है. ऐसे ही छात्रों से एनडीटीवी ने बात की. कुछ छात्रों ने चाइन से मेडिकल की पढ़ाई की है, तो कुछ नहीं मॉरिशस से तो कुछ ने रसिया और कुछ ने यूक्रेन से.
दुनिया के अलग-अलग देशों से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले ये छात्र परेशान हैं. कारण कि अपने देश में डॉक्टरी की प्रैक्टिस करने के लिए इंटर्नशिप जरूरी है. इंटर्नशिप के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन को पास करना होता है. कई छात्रों ने यह परीक्षा भी पास कर ली है, इसके बावजूद उन्हें मेडिकल कॉलेजों में इंटर्नशिप नहीं मिल रही.
ऐसे ही एक छात्र ने बताया है मुझे बाबा साहेब आंबेडकर कॉलेज अलॉट हुआ था, लेकिन जब हम मेडिकल कॉलेज में रिपोर्ट करने गए तो वहां सीट देने से इनकार कर दिया गया. एनएमसी का साढे 7 प्रतिशत का रूल है और उस रूल के हिसाब से उनके पास अभी बच्चे पढ़ रहे हैं. जबकि डीएमसी की लिस्ट यह शो कर रही है कि उस कॉलेज में सीट है. एनएमसी ने भी कहा कि उस कॉलेज में सीट है, इसके बावजूद हमें इंटर्नशिप नहीं मिल रही.
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दिल्ली मेडिकल काउंसिल अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में नेशनल मेडिकल कमिशन की तरफ से बताई गई सीट मेरिट के हिसाब से अलॉट करता है. डीएमसी के मुताबिक नेशनल मेडिकल कमिशन ने दिल्ली में कुल 339 सीटों की बात कही. लेकिन जब डीएमसी ने कॉलेजों से संपर्क किया तो कुछ कॉलेजों ने सीट देने से इनकार कर दिया तो बस 42 सीट ही सामने निकल आई. अब डीएमसी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर सुझाव दिया है कि एफएमसी छात्रों के इंटर्नशिप से 7.5 प्रतिशत कैपिंग हटाई जाए. इसके साथ ही डीएनबी में इंटर्नशिप का प्रावधान बहाल किया जाए, ताकि सीट में इजाफा हो. इंटर्नशिप करने वाले बच्चों के लिए स्टाइफंड के पैसे कहां से आएंगे, सरकार स्थिति साफ करें.
एनडीटीवी से डीएमसी के रजिस्ट्रार डॉ गिरीश त्यागी ने बताया कि इस बार हमेन 42 सीट अलॉट की, यह मेरिट लिस्ट पर आधारित था. इसमें से केवल चार बच्चे इंटर्नशिप कर रहें. तीन मेडिकल कॉलेजों बाबा साहेब, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेजों में जब बच्चे गए हैं उन्हें मना कर दिया गया. इस मामले में हमने सेंट्रल गवर्नमेंट को अपना विचार रखा है.