हिंदी फिल्म इंडस्ट्री अब उस मुकाम पर है जहां हीरोइन्स पहले से कहीं ज्यादा ग्लैमरस, सिजलिंग और मॉर्डन लुक के साथ नजर आती हैं. लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब हीरोइन्स देसी लिबास में धकी मुंदी नजर आती थीं. उस दौर में एक एक्ट्रेस ऐसी थी जो अपने हुस्न से बॉलीवुड में तहलका मचा रही थी. पॉप जो अपनी एक्टिंग के अलावा परफेक्ट फिगर और परफेक्ट स्टाइल के लिए फेमस हुई. ये एक्ट्रेस थीं जीनत अमान. जिन्होंने हीरोइन्स की इमेज बदलने में बड़ी भूमिका अदा की. आम लड़की से फैशन डीवा बनने का ये सफर एक ब्यूटी पीजेंट कॉम्पिटिशन से शुरू हुआ.
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खूबसूरती का खिताब
जीनत अमान का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जिसका फिल्मी दुनिया से गहरा रिश्ता था. उनके पिता अमानतुल्लाह खान प्रसिद्ध लेखक थे. जबकि मां वर्धिनी सिंधिया शारवाख्टर मराठी हिंदू थीं. वो अभिनेता मुराद की भतीजी और रजा मुराद की कजिन हैं. बचपन में ही माता-पिता के तलाक और फिर पिता की मौत ने जीनत के जीवन को गहराई से प्रभावित किया. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पंचगनी में की और फिर हायर एजुकेशन के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया (लॉस एंजिल्स) चली गईं. वहीं से उनके भीतर वो कॉन्फिडेंस आया कि वो ग्लैमर की दुनिया में कदम रख सकें. पढ़ाई के साथ उन्होंने मॉडलिंग की शुरुआत की और फेमिना मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में फर्स्ट प्रिंसेस बनीं. इसके बाद मिस एशिया पैसिफिक इंटरनेशनल का खिताब जीता. और, दोनों टाइटल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनकर उन्होंने एक नया इतिहास रच दिया.
इस फिल्म से मिली कामयाबी
जीनत का फिल्मी करियर 1970 में द एविल विदिन से शुरू हुआ. लेकिन असली पहचान उन्हें 1971 में देव आनंद की फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा से मिली. दिलचस्प बात यह है कि ये रोल पहले जहीदा को ऑफर किया गया था, लेकिन जीनत को यह मौका मिला. और, उन्होंने इसे यादगार बना दिया. फिल्म सुपरहिट रही और उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला. इसके बाद जीनत अमान ने भारतीय सिनेमा में मॉडर्न इंडियन वुमन की नई इमेज गढ़ी.