Bollywood Gold: जब हम बॉलीवुड की उन अभिनेत्रियों की बात करते हैं जिन्होंने एक नहीं बल्कि कई पीढ़ियों को अपनी अदायगी से दीवाना बना लिया और शायद आगे भी बनाती रहेंगी तो उनमें रेखा का नाम जरूर आता है. 13 साल की उम्र में बंबई आने वाली भानुरेखा आज रेखा के नाम से भारत ही नहीं बल्कि कई देशों में जानी जाती हैं. हिंदी ना जानने वाली रेखा (Rekha) ने हिंदी फिल्मों से वो शोहरत हासिल की जो अनेक कलाकारों के लिए मील का पत्थर साबित होती है. ये वही रेखा हैं जिन्हें 6-7 सालों तक तो अपनी कोई फिल्म पसंद ही नहीं आई थी, लेकिन आज करोड़ों दिलों की पसंद बन चुकी हैं रेखा.आज बात करेंगे एवग्रीन रेखा की फिल्मों से जुड़े कुछ खास किस्सों के बारे में, जैसे फिल्म 'सावन भादों' रेखा की ही नहीं बल्कि वर्सेटाइल नवीन निश्चल और आज भी अपने नेगेटिव किरदारों के लिए जाने जाने वाले रनजीत की भी पहली फिल्म थी.
रेखा को फिल्म 'उमराव जान' (Umrao Jaan) के लिए नैशनल फिल्म अवॉर्ड मिला था, 'खूबसूरत', 'खून भरी मांग' और 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी' के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला और कई बड़े अवॉर्ड्स वे अपने नाम कर चुकी हैं. चाहे आर्ट फिल्में हों या फिर बड़े बजट की फिल्में, अपनी एक्टिंग, डांस, एक्सप्रेशंस और हर एक पहलू पर खरी उतरकर रेखा हर रोल में बेहतरीन नजर आईं. बॉलीवुड में 1970 में 'सावन भादों' से एंट्री लेने वाली रेखा ने 'नागिन', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'खूबसूरत' और 'उमराव जान' जैसी फिल्मों से धूम मचा दी थी. वहीं, रेखा ने अपनी एक नहीं बल्कि कई फिल्मों में तवायफ का रोल किया है जिनमें सुहाग भी शामिल है.
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अच्छा एक और दिलचस्प बात, क्या आप जानते हैं रेखा और राज बब्बर (Raj Babbar) ने फिल्म 'झूटी', 'संसार' और 'इंसाफ' की आवाज जैसी फिल्मों में एकदूजे संग रोमांस किया था लेकिन फिल्म 'जीवन धारा' में दोनों भाई बहन के रोल में नजर आए थे.राज बब्बर को इस फिल्म में भी रोमांटिक रोल दिया जा रहा था लेकिन उन्हें भाई का रोल ज्यादा अच्छा लगा था, ज्यादा महत्वपूर्ण और प्रभावशाली लगा था.
सुनने में यह भी आता है कि फिल्म 'गंगा की सौगंध' के दौरान गांव में फिल्म की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की गांव के लोगों से लड़ाई भी हो गई थी. इस फिल्म के अलावा रेखा और अमिताभ ने एकसाथ कई यादगार फिल्मों में साथ काम किया था, 'सिलसिला', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'दो अंजाने', 'सुहाग' और 'मिस्टर नटवरलाल' इन्हीं में शामिल हैं.
फिल्म 'सौतन की बेटी' का भी एक किस्सा है जिसमें रेखा पर फिल्माया गाना 'हम भूल गए रे हर बात...' को लता मंगेशकर ने गाया है. लेकिन, असल में यह खूबसूरत नगमा पाकिस्तानी सिंगर नसीम बेगम ने गाया है. इसी फिल्म में नुसरत साहब की एक कव्वाली 'यह जो हल्का हल्का सुरुर है' भी लिया गया है.
तो ये थे बॉलीवुड की खूबसूरत अदाकारा रेखा की फिल्मों से जुड़े कुछ ऐसे छोटे-छोटे किस्से जिन्हें हम आमतौर पर कम ही सुनते हैं लेकिन जो उनके करियर का बड़ा हिस्सा रहे हैं.
अपनी ही फिल्मों को नापसंद करने वाली रेखा कैसे बनीं हर दिल की पसंद? | Bollywood Gold