विशाल जेठवा ने कहा “भारत में अक्सर लोग अंग्रेजी न बोल पाने के कारण जज किए जाते हैं”

भारतीय सिनेमा के लिए गौरव का क्षण है. निर्देशक नीरज घेवन की फिल्म होमबाउंड इस साल भारत की ओर से ऑस्कर की आधिकारिक एंट्री बनी है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
हिंदी-इंग्लिश को लेकर बोले विशाल जेठवा
नई दिल्ली:

भारतीय सिनेमा के लिए गौरव का क्षण है. निर्देशक नीरज घेवन की फिल्म 'होमबाउंड' इस साल भारत की ओर से ऑस्कर की आधिकारिक एंट्री बनी है. सामाजिक सरोकारों को संवेदनशीलता के साथ पर्दे पर लाने के लिए पहचाने जाने वाले नीरज ने इस फिल्म के जरिए भारतीयता की जड़ों और आत्मस्वीकृति के संदेश को बड़े परदे पर उतारा है. इस फिल्म में विशाल जेठवा और ईशान खट्टर लीड रोल में हैं.

ये भी पढ़ें: क्या अब बॉबी देओल के बेटे की फिल्म में काम करेंगे शाहरुख खान? एक्टर ने कर डाली इतनी बड़ी बात

विशाल जेठवा: “इस फिल्म ने मुझे खुद को स्वीकारना सिखाया”

फिल्म के मुख्य कलाकार विशाल जेठवा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि होमबाउंड ने उन्हें एक गहरी सीख दी. उन्होंने कहा, “बहुत कम फिल्में होती हैं जो करने के बाद आपके अंदर बदलाव लाती हैं. इस फिल्म से मैंने सीखा कि सबसे जरूरी है खुद को स्वीकारना. भारत में अक्सर लोग अंग्रेजी न बोल पाने के कारण जज किए जाते हैं, मेरे अंदर भी यही डर था. लेकिन नीरज सर ने मुझे यह समझाया कि इंसान की असली ताकत उसकी पहचान और सच्चाई है, न कि वह किस भाषा में बात करता है.''

ईशान खट्टर: “बात में दम होना चाहिए, चाहे किसी भी भाषा में हो”

अभिनेता ईशान खट्टर ने विशाल की बात का समर्थन करते हुए कहा कि इस फिल्म ने साबित किया है कि भाषा से ज्यादा अहम है विचार और भावनाएं. उन्होंने बताया कि जब टोरंटो और कान्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विशाल ने हिंदी में अपनी बात रखी तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा. ईशान ने कहा, “और इसका सबूत यह है कि यह बड़े-बड़े थिएटरों में, छब्बीस सौ सीटों वाले थिएटरों में, टोरंटो और कान्स जैसी जगहों में, अपनी भाषा में अपनी बात कहकर साबित कर दिया. बात में बात होनी चाहिए, चाहे वो किसी भी भाषा में हो. उसने अपनी बात कही और थिएटर तालियों से गूंज उठा. सो, बात में बात होनी चाहिए. क्योंकि उसने बहुत अच्छे से कहा और इसी वजह से हमने ये फिल्म बनाई. हमने एक बहुत रूटेड भारतीय फिल्म बनाई. हमने अवधी और हिंदी में फिल्म बनाई है. हमने अंग्रेजी में फिल्म नहीं बनाई है फेस्टिवल्स के लिए, और फिर भी वो बात उन तक पहुंच गई. सबटाइटल्स हो जाते हैं, लेकिन बात उन तक पहुंची.''

भारतीय सिनेमा का गर्व

होमबाउंड की ऑस्कर तक की यह यात्रा भारतीय सिनेमा की जड़ों से जुड़ी कहानियों और कलाकारों की ईमानदारी की मिसाल है. फिल्म ने न सिर्फ अपने कलाकारों को नई सीख दी बल्कि यह भी साबित किया कि सच्चाई और आत्मस्वीकृति ही हर भाषा और संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत है.

Featured Video Of The Day
Sucherita Kukreti | सिडनी अटैक पर Major Gaurav Arya का सन्न करने वाला खुलासा | Sydney terror attack