एक युवक जो मुंबई से हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में छुट्टियां मनाने के लिए जाता है. कुल्लू की खूबसूरत वादियों में उसे एक लड़की से प्यार हो जाता है. फिर कुछ दिनों में बाद शख्स अपनी छुट्टियां बिता कर दोबारा अपने काम मुंबई लौट जाता है. लेकिन उसे प्यार में दीवानी लड़की को बाद में पता चलता है कि वह उस शख्स के बच्चे की मां बनने वाली है. बच्चे को जन्म देने के बाद लड़की उसे पिता से मिलाने के लिए मुंबई निकल जाती है. जिसके हाथ में एक बच्चा और एक खत होता है.
वह खत लड़की के लिए आखिरी खत बनकर रह जाता है, क्योंकि बच्चे को बाप से मिलाने की आस लिए लड़की अपना दम तोड़ देती है. फिर सवा साल को उसका बच्चा अपनी मां का आखिरी खत लिए सड़कों को पिता को ढूंढने के लिए भटक रहा होता है. रोंगटे खड़े कर देने वाली और आंसू ला देने वाली यह कहानी रियल नहीं रील स्टोरी है. जी हां, हम बात कर रहे हैं साल 1966 में आई फिल्म आखिरी खत की.