शशि कपूर ने ठुकरा दिया था नेशनल अवॉर्ड, इस फिल्म में अपनी ही एक्टिंग से निराश हो गए थे एक्टर

कपूर खानदान से होने के बावजूद वो हमेशा सादगी पसंद रहे. एक बड़े फिल्मी घराने की ठसके से कोसो दूर रहने वाले शशि कपूर अपनी इसी मॉडेस्टी के चलते राष्ट्रीय पुरस्कार को भी ठुकरा चुके हैं.

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शशि कपूर ने ठुकरा दिया था नेशनल अवॉर्ड, जानें वजह
नई दिल्ली:

हिंदी सिनेमा के इतिहास में शशि कपूर सिर्फ एक स्टार नहीं, बल्कि सादगी और ईमानदारी की मिसाल माने जाते हैं. उनकी मुस्कान, चार्मिंग लुक्स और बेहतरीन अदाकारी ने उन्हें लाखों दिलों का चहेता बनाया. लेकिन असली पहचान उन्हें उनकी हंबलनेस और मॉडेस्टी ने दिलवाई. कपूर खानदान से होने के बावजूद वो हमेशा सादगी पसंद रहे. एक बड़े फिल्मी घराने की ठसके से कोसो दूर रहने वाले शशि कपूर अपनी इसी मॉडेस्टी के चलते राष्ट्रीय पुरस्कार को भी ठुकरा चुके हैं. साल 1962 में, उन्होंने खुद को इस अवॉर्ड के नाकाबिल मानते हुए, उसे लेने से इंकार कर दिया था. 

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इस फिल्म के लिए मिलने वाला था अवॉर्ड
शशि कपूर ने यश चोपड़ा की फिल्म धर्मपुत्र से बतौर हीरो बॉलीवुड में कदम रखा था. ये फिल्म धार्मिक कट्टरता और विभाजन के दर्द पर बेस्ड थी. शशि कपूर ने इसमें एक ऐसे युवा का रोल निभाया, जो अपनी असली पहचान से अनजान है. और, खुद ही कट्टरपंथ की राह को पकड़ लेता है. उनका ये रोल बेहद चैलेंजिंग माना गया. शशि कपूर ने अपनी सादगी और गहराई से इस रोल को बेहद शिद्दत से अदा किया किया. इस फिल्म को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और शशि कपूर को उनके परफोर्मेंस के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड दिया गया.

फैसले ने किया हैरान
करियर में इतनी जल्दी नेशनल अवॉर्ड मिलना खुशी की बात होती. लेकिन सबको हैरान करते हुए शशि कपूर ने ये अवॉर्ड लेने से साफ इनकार कर दिया. उनका कहना था कि उनकी परफॉर्मेंस उस स्तर की नहीं थी कि उन्हें इतना बड़ा पुरस्कार मिले. सालों बाद एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘मुझे नेशनल अवॉर्ड के लिए चुना गया था, लेकिन मैंने इसे ठुकरा दिया क्योंकि मुझे लगा मेरी परफॉर्मेंस उतनी अच्छी नहीं थी.'

हालांकि इस फैसले के बाद यश चोपड़ा और शशि कपूर की दोस्ती भी गाढ़ी हो गई दोनों ने आगे चलकर वक्त, दीवार, कभी कभी, त्रिशूल जैसी कई क्लासिक फिल्में साथ कीं. लेकिन शशि के करियर की सबसे अहम पहचान ये रही कि उन्होंने कभी स्टारडम को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया.

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