आजकल ओटीटी और मल्टीप्लेक्स के जमाने में लोग घर बैठे ही फिल्में देख लेते हैं, इसलिए सिनेमाघरों में पहले जैसी रौनक कम हो गई है. लेकिन 80 के दशक में बात अलग थी. उस समय नई फिल्म आने का मतलब था सिनेमा हॉल के बाहर लंबी-लंबी लाइनें, सुबह से टिकट काउंटर पर धक्का-मुक्की और जैसे ही टिकट खत्म, बाहर लाल बोर्ड लटक जाता था – “हाउस फुल”! 80 के दशक में एक ऐसी फिल्म आई थी, जिसके जो हफ्ते तक सभी सिनेमाघरों में हाउसफुल रही थी. आलम यह था कि इस फिल्म की टिकट मिलनी मुश्किल हो गई थी.
कौन सी फिल्म रही 15 दिनों तक हाउसफुल
इस फिल्म का नाम “जीते हैं शान से” है, जो साल 1988 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. इसमें एक साथ तीन बड़े सुपरस्टार थे – मिथुन चक्रवर्ती, गोविंदा और संजय दत्त. तीनों का पहली बार साथ आना उस समय किसी त्योहार से कम नहीं था. बस यही जादू चल गया और फिल्म सुपर-डुपर हिट हो गई. खासकर मुंबई के बड़े-बड़े सिनेमा हॉलों में लगातार 15 दिन तक हर शो हाउसफुल चला. लोग बार-बार देखने आते थे. फिल्म महज 2 करोड़ रुपए में बनी थी, पर इसने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 8 करोड़ रुपए कमा लिए. हीरोइनों में मंदाकिनी और विजेता पंडित थीं, वहीं विलेन की भूमिका में डैनी डेंजोंगपा ने धमाल मचाया था.
क्या थी “जीते हैं शान से” की कहानी
कहानी तीन जिगरी दोस्तों की थी, जो गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं. लेकिन कुछ गलतफहमियां और दुष्ट लोगों की साजिश के चलते दोस्तों में अनबन हो जाती है. फिर आखिर में दोस्ती और इंसाफ की जीत होती है. फिल्म में एक्शन, ड्रामा, इमोशन सब कुछ था. सबसे बड़ी बात, इसके गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं. “जुली जुली जुली... जॉनी का दिल तुम पर आया जुली” गाना तो हर जगह बजता था. छोटे-बड़े, सब इसके दीवाने हो गए थे. “जीते हैं शान से” आज भी 80 के दशक की उन चुनिंदा मल्टी-स्टारर फिल्मों में गिनी जाती है, जिन्होंने दर्शकों को सिनेमा हॉल तक खींचकर लाकर साबित कर दिया था कि बड़े सितारों का साथ हो तो बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचना तय है!